दूसरों का भरते हैं पेट, खुद रह जाते हैं भूखे
एक अध्ययन के अनुसार अमेरिका और ब्रिटेन में संपन्न लोग जितना भोजन बेकार करते हैं उससे 1.5 अरब लोगों को खाना खिलाया जा सकता है। जहां तक भारत का मामला है विवाह, पार्टियों और दूसरे सामाजिक-निजी आयोजनों में 15 से 20 प्रतिशत खाना बेकार चला जाता है। एक ऐसे देश में जहां करोड़ों की आबादी को दो जून ठीक से खाना नहीं नसीब होता, वहां इतनी मात्रा में अनाजों की बर्बादी किस तरह की कहानी कहती है? इन कहानियों के बीच एक कहानी अर्पण रॉय के टीम की है, जो खुद एक दिन भूखे रहकर अपना खाना गरीबों को बांटने का काम करती है।
खाने की बर्बादी को रोकने का प्रयास
वर्ष 2012 में महाराष्ट्र के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के तुलजापुर कैंपस में पढ़ाई के दौरान अर्पण का ध्यान हर रोज खाने की कैंटीन में बर्बाद हो रहे भोजन पर गया। जिसके बाद उन्होंने खाने की बर्बादी करने वाले छात्रों पर लगाम लगाने और बर्बाद होने वाले खाने की मात्रा में कमी लाने के उद्देश्य से अपने बीच के ही कुछ छात्रों को स्वयंसेवकों के रूप में तैनात किया। हालांकि, उनके सभी प्रयास बेकार रहे और इतना करने के बावजूद भी खाने की बर्बादी की दर में कोई कमी नहीं आई। ऐसा देख अर्पण को बहुत दु:ख हुआ। जिसके बाद उन्होंने एक आइडिया पर काम शुरू किया, जिससे गरीबों को भूखेपेट ना सोना पड़े।
एक दिन का भोजन छोड़ने का संकल्प
अर्पण और उनके कुछ स्वयंसेवक साथियों ने उसी समय यह निर्णय लिया कि हम सब एक समय का अपना भोजन छोड़ेंगे और उसे भूखे लोगों के बीच बांटेंगे। 18 जून 2012 को पहली बार इनकी टीम ने भोजन छोड़ा और उसे भूखेपेट सोने वाले लोगों के बीच वितरित किया। वर्तमान में इंस्टीट्यूट के लगभग 300 छात्र हर शनिवार को अपना भोजन छोड़ते हैं और उसे जरूरतमंदों के बीच बांटते हैं।
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NGO बनाने का इरादा नहीं
अर्पण का इरादा कभी भी ‘स्किप ए मील’ टीम को एनजीओ के रूप में तब्दील करवाने का कोई इरादा नहीं है। वे इसे छात्रों द्वारा संचालित होने वाली ‘पहल’ के रूप में स्थापित होते हुए देखना चाहते हैं। फिलहाल मद्रास मेडिकल कॉलेज और दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज के छात्रों ने उनकी इस पहल में साथ देते हुए अपने क्षेत्र में रहने वाले भूखे लोगों को इस प्रकार खाना खिलाना आरंभ कर चुके हैं। अब जब कई दूसरे कॉलेज अभियान का हिस्सा बन गए हैं तब ‘स्किप ए मील’ प्रति सप्ताह करीब 1300 लोगों को भोजन उपलब्ध करवा रहा है।
शिक्षा पर भी जोर
अर्पण की टीम अनाथाश्रम में जाकर खाना देने के अलावा इनकी टीम ने अब गरीब बच्चों को शिक्षा देने में भी अपना योगदान करना प्रारंभ कर दिया है। अर्पण का कहना है कि हमनें प्रारंभ में शिक्षा को बढ़ावा देने के काम में लगी हुई एक संस्था के साथ मिलकर शिक्षा और गतिविधियों के क्षेत्र में कदम बढ़ाया है। अगर अर्पण जैसी मानसिकता वाले लोग आगे आएं तो वे बेसहारा लोगों के बीच इस भोजन को बांटकर गरीबी को मिटाने में अपना सहयोग दे सकते हैं।
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