जानिए क्यों रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर हमले का किया ऐलान…

यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध को देखकर बाकी के देश के लिए चिंता का विषय बन गया है। यूक्रेन के लोग रूस के धमाके से दहशत में आ गए है।

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यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध को देखकर बाकी के देश के लिए चिंता का विषय बन गया है। यूक्रेन के लोग रूस के धमाके से दहशत में आ गए है। यूक्रेन में रूस के आधुनिक हथियार और तोप तबाही मचा रहा है, जिससे आम नागरिकों के जीवन पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। वही यूक्रेन के कई शहरों पर रूस के हमले की ख़बरें और तस्वीरें सामने आने लगी हैं। ऐसे में सब के मन में सवाल ये आ रहा है कि आख़िर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अचानक क्यों युद्ध का ऐलान कर दिए?

भारत के प्रधानमंत्री ने रूस के राष्ट्रपति से की हिंसा रोकने की अपील:

दोनों देशों के बीच चल रहे जंग को देख कर कुछ लोग तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत भी कह रहे हैं। दूसरी तरफ रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध सभी देशों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। इस युद्ध को देखकर ज्यादातर लोगों का मानना है कि जल्द ही दोनों देशों के बीच शांति बहाल नहीं हुई तो बाकी के देश भी परेशानी में आ सकते हैं। इसी बीच भारत ने रूस से हिंसा रोकने की अपील करते हुए रूस के राष्ट्रपति पुतिन से पीएम मोदी की बातचीत भी की। वहीं  अमेरिका ने भी रूस के इस हिंसात्मक कदम को देखते हुए निंदा की है।

मोदी-पुतिन के बीच हुई बतचीत:

वहीं रूस की तरफ से मोदी-पुतिन के वार्ता के बारे में जानकारी देते हुए बताया गया कि भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने वर्तमान में यूक्रेन में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहायता मांगी है। जिस पर राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि समय आने पर ‘आवश्यक निर्देश’ दिए जाएंगे।

दोनों देशों के बीच युद्ध की क्या है वजह:

रूस की तरफ से जारी बयान के मुताबिक राष्ट्रपति पुतिन ने पीएम मोदी को बताया कि डोनबास के आम नागरिकों पर कीव से चलने वाली सरकार ने आक्रामक कार्रवाई की। मिंस्क समझौते का उल्लंघन भी किया गया और इसके अलावा यूक्रेन में अमेरिका और नाटो की मदद से सामरिक तौर पर जो गतिविधियां चल रही थीं। इन सब वजहों से रूस को यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई करना पड़ा।

वार

रूस की तरफ से जानकारी के मुताबिक बुधवार को रूस सर्मथित अलगाववादी इलाकों ने पुतिन से सैनिक भेजने की मांग की थी। वहीं राष्ट्रपति पुतिन ने अपने बयान में कहा कि, ‘इसका उद्देश्य पिछले आठ सालों से कीएफ़ के द्वारा उत्पीड़न और जनसंहार का सामना कर रहे लोगों की रक्षा करना है।”

 

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