जानें कोहरे की कहानी, इसको लेकर जीवन में क्या होती है परेशानी
शीतलहर के साथ कोहरे ने बीते 24 घंटे में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब को अपने गिरफ्त में लिया है। उत्तर भारत में आज सीजन का सबसे घना कोहरा देखा जा रहा है. जिसकी विजिबिलिटी बहुत कम रही इसमें 05 मीटर आगे का देखना भी मुश्किल हो रहा है. वैसे तो इस ठंड के सीजन के शुरू होने के बाद लगातार ही कोहरा पड़ रहा है लेकिन इतना जबरदस्त कोहरा पहली बार देखा गया. इससे दिल्ली और उत्तर भारत में जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है. चलिए जानते हैं इसके पीछे का कारण और कोहरे से जुड़े कुछ फैक्ट्स।
मौसम विज्ञानियों का कहना है कि दिल्ली में इस बार घने कोहरे के देर से होने की वजह वातावरण में वेस्टर्न डिस्टर्बेंसेज यानि पश्चिमी विक्षोभ की कमी है. इसी विक्षोभ के कारण जाड़ों के मौसम में बारिश होती है और हवा में नमी बढ़ती है. जो घने कोहरे की बड़ी वजह होती है. इस बार मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि इसका असर कम है. यही वजह से है कि दिसंबर का महीना शुरू में गर्म सीजन के महीनों में शुमार किया गया था. हवा में शुष्की थी लेकिन अब स्थिति बदल रही है. अब आने वाले समय में घने कोहरे देखने को मिल सकते हैं.
क्या है कोहरा…
जब आर्द्र हवा ऊपर उठकर ठंडी होती है तब जलवाष्प संघनित होकर जल की सूक्ष्म बूंदें बनाती है। कभी-कभी अनुकूल परिस्थितियों में हवा के बिना ऊपर उठे ही जलवाष्प जल की नन्हीं बूंदों में बदल जाती है तब हम इसे कोहरा कहते हैं। तकनीकी रूप से बूंदों के रूप में संघनित जलवाष्प के बादल को कोहरा कहा जाता है। यह वायुमंडल में जमीन की सतह के थोड़ा ऊपर ही फैला रहता है। किसी घने कोहरे में दृश्यता एक किमी से भी कम हो जाती है। इससे अधिक दूरी पर स्थिति चीजें धुंधली दिखाई पड़ने लगती हैं।
इस तरह से बनता है कोहरा…
सापेक्षिक आर्द्रता शत प्रतिशत होने पर हवा में जलवाष्प की मात्रा स्थिर हो जाती है। इससे अतिरिक्त जलवाष्प के शामिल होने से या तापमान के कम होने से संघनन शुरू हो जाता है। जलवाष्प से संघनित छोटी पानी की बूंदे वायुमंडल में कोहरे के रूप में फैल जाती हैं।
कौन सी दृश्यता की स्थिति कही जाती है घना कोहरा…
–जब भी दृश्यता शून्य से 50 मीटर हो जाए तो उससे बहुत घना कोहरा कहते है
–और जब दृश्यता 50 मीटर 200 मीटर की दृश्यता की स्थिति को घना कोहरा कहा जाता है
–जब दृश्यता 201 से 500 मीटर की स्थिति को माध्यम कहा जाता है
–जब दृश्यता 500 से 1000 मीटर की दृश्यता वाले कोहरे को सामान्य कोहरा कहते हैं.
मौसम विज्ञान में दृश्यता उस दूरी का माप होता है, जिस तक कोई वस्तु या प्रकाश स्पष्ट रूप से देखा जा सके. सामान्य तौर पर एक सामान्य मनुष्य 02-03 किलोमीटर तक देख सकता है. एक अध्ययन के मुताबिक, हम अपनी आंखों से 20 किलोमीटर 12 मील तक की दूरी तक देख सकते हैं, लेकिन असल में दृश्यता की स्थिति हवा में मौजूद नमी, धूलकण और अन्य प्रदूषकों पर निर्भर करती है, ये हमारी आंखों को अधिक दूरी तक देखने से रोकते हैं.
कितने प्रकार के कोहरे होते…
कोहरा एक प्राकृतिक स्थिति है जो कई तरह की होती है, जैसे समुद्र की सतह पर होने वाला कोहरा जिसे सी-फॉग कहते हैं. कई बार कोहरा एकदम से घना होता है और फिर तुरंत ही गायब हो जाता है, इसे फ्लेश फॉग कहते हैं. ये फॉग हवा में नमी और तापमान की वजह से अचानक आकर चला जाता है.
जान भी बचाता है कोहरा…
एक ओर कोहरा जानलेवा साबित हो रहा है तो दूसरी ओर कई सभ्यताओं में ये जान बचाने वाला भी बनता रहा है. कई जगहों पर जहां पीने के पानी की कमी होती है, वे पेड़-पौधों के नीच बर्तन रख देते हैं ताकि पानी जमा हो सके.
हालांकि ये तरीका ज्यादा असरदार नहीं है. अब फॉग कैचर भी एक टर्म चलन में आया है. इसमें तकनीकी विशेषज्ञ बड़ी सी जगह पर जमा फॉग को पानी में बदलने की कोशिश कर रहे हैं ताकि पानी की कमी से निजात मिल सके.बेलाविस्टा और पेरू में फॉग कैचर काफी काम कर रहे हैं. बेलाविस्टा में नदी, झील या ग्लेशियर नहीं हैं, जिसकी वजह से पानी की कमी आम लेकिन गंभीर समस्या है. साल 2006 से वहां फॉग कैचर ने काम शुरू किया ताकि पानी की कमी से कुछ हद तक निजात मिल सके.
हमेशा कोहरे के चादर में ढकी रहती है ये जगहें…
आपको बताते चलें कि, उत्तरी अमेरिका में कनाडा के न्यूफाउंडलैंड द्वीप के पास ग्रांड बैंक्स नाम की एक जगह है जो अटलांटिक महासागर से मिलती है. यह दुनिया की सबसे ज्यादा कोहरे वाली जगह है। इसके अलावा इन जगहों पर हमेशा कोहरा छाया रहता है।
इसके बाद क्रमशः
–चिली के अटाकामा कोस्ट
– इटली की पो वैली
– स्विटरलैंड के मध्यवर्ती पठार (intermediate plateau)
– अफ्रीका का नामिब रेगिस्तान
– अटलांटिक कोस्ट का मिस्टेक आइलैंड
– कैलीफोर्निया का सैन फ्रांसिस्को और कैलीफोर्निया का ही पॉइंट रेयेज़
– न्यूजीलैंड के हेमिल्टन
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