कार्तिक मास का हिंदू धर्म में विशेष महत्व माना गया है। वैसे तो हिंदू धर्म में प्रत्येक मास का अपना महत्त्व है। परंतु पुराणों की मानें तो कार्तिक मास के समान कोई दूसरा महीना नहीं है। कार्तिक मास की महिमा का पुराणों में वर्णन करते हुए कहा गया है कि जिस तरह से सतयुग के समान कोई युग, गंगा के समान कोई तीर्थ और वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है। उसी तरह कार्तिक मास के समान कोई माह नहीं होता। कहते हैं कि इस महीने में भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं। जिसकी वजह से इस महीने का पौराणिक महत्त्व और भी बढ़ जाता है। इस महीने दान, स्नान और तुलसी पूजा का भी विशेष महत्व है। कार्तिक माह में भगवान विष्णु और तुलसी की पूजा बह्म मुहूर्त में स्नान करके करना चाहिए।
कब से शुरू हो रहा कार्तिक माह:
हिंदी पंचांग के अनुसार, 20 आक्टूबर को शाम 8 बजकर 26 मिनट तक आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि है। इसके बाद कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि प्रारंभ हो जायेगी। इस प्रकार इस साल कार्तिक मास की शुरुआत 21 अक्टूबर 2021 से हो रही है। कार्तिक मास का समापन 19 नवंबर को होगा।
कार्तिक माह का महत्व:
भगवान विष्णु और देवी माता पार्वती को बेहद प्रिय होने की वजह से कार्तिक माह को इनकी पूजा के लिए सबसे सर्वोत्तम मास माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु इसी महीनें में निद्रा से जागते हैं और पूरी सृष्टि पर आनंद और कृपा की वर्षा करते हैं। साथ ही मां लक्ष्मी धरती का भ्रमण करती है और भक्तों को धन-दौलत का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
क्या करना चाहिए और क्या नहीं:
ज्योतिषाचार्य पंडित रामदेव शुक्ल ने बताया कि कार्तिक माह में व्यक्ति को अपने आचरण को पवित्र रखना चाहिए। इस माह में मांस-मछली और मट्ठा के साथ ही उड़द, मूंग, मसूर, चना, मटर, राई खाने से परहेज करना चाहिए। इस महीने से स्निग्ध चीजें और मेवे खाने को वरीयता देनी चाहिए। उन्होंने बताया कि इस महीने भगवान का जाप करते रहना चाहिए। साथ ही जमीन पर सोने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि जमीन पर सोने से मन में पवित्र विचार आते हैं।
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