रिफ्यूजी बस्ती का असुमल यूं बना हजारों करोड़ का आसाराम बापू

0

वह हिंदुस्तान के विभाजन के तुरंत बाद का समय था। पाकिस्तान के सिंध प्रांत के बरनानी गांव से निकल थाऊमल हरपलानी अपनी पत्नी मंहगीबा और बेटे असुमल को लेकर भारत पहुंचे थे। अधिकतर सिंधी रिफ्यूजियों की तरह थाऊमल और उनके परिवार को सरदारनगर की रिफ्यूजी बस्ती में शरण मिली। थाऊमल ने मणिनगर में टिंबर और कोयले का धंधा शुरू किया।

घर की जिम्मेदारी असुमल के कंधे पर थी

बेटा असुमल भी पिता का हाथ बंटाता। बाद में इस परिवार ने कालुपुर में अनाजों की दुकान भी खोली।सब पटरी पर लौट ही रहा था कि असुमल के पिता की मौत हो गई। उस समय असुमल की उम्र महज 10 साल थी। अब घर की जिम्मेदारी असुमल के कंधे पर थी। कुछ साल इस जिम्मेदारी को निभाने के बाद असुमल 15 साल की उम्र में घर से भाग गया। वह भरूच के एक आश्रम में पहुंचा जिसे लीलाशाह महाराज चलाते ।

Also Read : कुशीनगर में रेलवे क्रॉसिंग पर ट्रेन-स्कूल वैन की टक्कर, 11 बच्चों की मौत

महाराज ने किसी तरह उसे समझा बुझाकर वापस घर भेजा। हालांकि 8 साल बाद जब असुमल की उम्र 23 साल हुई तो वह एक बार फिर घर छोड़ आश्रम पहुंच गया। यह अक्टूबर 1964 का समय था और इस बार लिलासा महाराज ने असुमल को स्वीकार कर उसे ‘संत श्री आसाराम बापू महाराज’ का नाम दिया। 7 साल बाद 1971 में आसाराम अहमदाबाद लौटा। तब उसके 2 बच्चे, नारायण साईं और भारती देवी भी पैदा हो चुके थे।

एक साल में यह झोपड़ी आश्रम में बदल गई

गुजरात में पंचमहल और भरूच जिलों के आदिवासी लोगों व उत्तर भारत के हिंदी भाषी लोगों के बीच आसाराम के आध्यात्मिक प्रवचन धीरे-धीरे लोकप्रिय होने लगे थे। 1972 में आसाराम ने साबरमती नदी किनारे ‘मोक्ष कुटीर’ की नींव रखी। एक साल में यह झोपड़ी आश्रम में बदल गई। आज आसाराम के साम्राज्य में देश-विदेश में मिलाकर करीब 400 आश्रम हैं।

आसाराम के पास कारों और बसों का पूरा काफिला है

चार दशकों में तैयार हुए इस साम्राज्य की कुल संपत्ति 10 हजार करोड़ रुपये की आंकी जा रही है। राजस्थान के 30 जिलों में भी आसाराम की 750 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी फैली हुई है। आसाराम का हर आश्रम 150 बीघा जमीन पर स्थित है। आसाराम के पास कारों और बसों का पूरा काफिला है। 5 स्कूल चल रहे हैं। इसके अलावा हर आश्रम में दुकानें भी चल रहीं हैं।

आश्रम में ‘काल जादू’ भी किया जा रहा है

आसाराम आज जिस हाल में पहुंचा है उसकी पठकथा 2008 में लिखी जाने लगी थी। जुलाई 2008 में दिपेश और अभिषेक वाघेला नाम के दो युवकों के क्षत-विक्षत शव मिले। ये दोनों युवक आसाराम के मोटेरा आश्रम से गायब थे। ऐसी खुफिया सूचनाएं मिलने लगीं कि आश्रम में ‘काल जादू’ भी किया जा रहा है। तत्कालीन गुजरात सीएम नरेंद्र मोदी ने इस मामले की जांच के लिए जस्टिस डीके त्रिवदी कमिशन का गठन किया। पांच साल बाद अगस्त 2013 में 16 साल की नाबालिग ने आसाराम पर जोधपुर आश्रम में यौन शोषण का आरोप लगा दिया।

आसाराम के साम्राज्य की कुल कीमत 5000 करोड़ रुपये थी

उसी साल आसाराम का बेटा नारायण साई भी सूरत की दो बहनों से रेप के आरोप में जेल गया। इन दोनों बहनों ने आरोप लगाया था कि 2000 के मध्य में दोनों बाप बेटों ने मिलकर दोनों के साथ रेप किया। इस मामले के सामने आने के बाद अब आसाराम के साम्राज्य का पतन शुरू हुआ। धीरे-धीरे कई खबरें मिलने लगीं। सूरत पुलिस ने जब जनवरी 2015 में आसाराम के एक फॉलोवर प्रह्लाद केसवानी के घर पर रेड मारी तो उसके घर से रिअल स्टेट में 2500 करोड़ से ज्यादा निवेश के कागजात 42 बैगों में भरे मिले। गुजरात पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक 2008 में आसाराम के साम्राज्य की कुल कीमत 5000 करोड़ रुपये थी।

दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है

आपको बता दें कि नाबालिग दलित युवती से रेप के मामले में जोधपुर की विशेष अदालत ने आसाराम को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। जोधपुर सेंट्रल जेल में लगी एससी-एसटी कोर्ट के विशेष जज मधुसूदन शर्मा की अदालत ने बुधवार को इस मामले में सहअभियुक्त शिल्पी और शरतचंद्र को 20-20 साल कैद की सजा सुनाई, जबकि अन्य दो प्रकाश और शिव को रिहा कर दिया।

NBT

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More