इसरो ने अंतरिक्ष भेजा PSLV-C56, 7 उपग्रहों की कक्षाओं में लगाएगा दौड़
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक बार फिर कमाल कर दिया है। रविवार को इसरो ने सात उपग्रहों की कक्षाओं में तैनाती के लिए PSLV-C56 को अंतरिक्ष में भेजा है। ये PSLV-C56 सात सेटलाइटों के साथ अंतरिक्ष में दौड़ लगाएगा। अंतरिक्ष में मौजूद उपग्रहों की कक्षाओं में PSLV-C56 क्रमानुसार तैनात होगा। आज सुबह 6:30 बजे इसरो के श्रीहरिकोटा से PSLV-C56 रॉकोट को लॉन्च किया गया है। पीएसएलवी-सी56 रॉकेट में सिंगापुर के डीएस- एसएआर सेटलाइट समेत सात सेटलाइटों को शामिल किया गया है।
अंतिरक्ष के लिए रावना हुआ PSLV-C56
आज रविवार की सुबह इसरो ने एक और पत्थर के मील को आसान करने वाला कारनामा कर दिया है। इसरो ने अंतरिक्ष में सात उपग्रहों के साथ एक रॉकेट को सफलतापूर्वक भेजा है। इसरो ने सिंगापुर के डीएस-एसएआर उपग्रह सहित सात उपग्रहों का आज सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया। यह प्रक्षेपण आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान – पीएसएलवी सी56 से किया गया।
PSLV-C56 इसरो का तीसरा मिशन
PSLV-C56 मिशन 2023 में इसरो का तीसरा वाणिज्यिक मिशन है। इसरो ने इससे पहले मार्च में एलवीएम3 रॉकेट से ब्रिटेन के वनवेब से संबंधित 36 उपग्रहों को प्रक्षेपित किया गया था। इसके बाद अप्रैल में पीएसलएलवी रॉकेट से सिंगापुर के दो उपग्रहों को प्रक्षेपित किया गया था। डीएस- एसएआर को सिंगापुर की डिफेंस साइंस एंड टेक्नोलाजी एजेंसी (डीएसटीए) और सिंगापुर के ही एसटी इंजीनियरिंग के बीच साझेदारी के तहत विकसित किया गया है।
उपग्रहों की कक्षाओं में लगाएगा दौड़
इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने बताया कि मिशन सफलतापूर्वक पूरा हो गया है। PSLV-C56 सहित बाकी के सात सह यात्री उपग्रहों को उनकी इच्छित कक्षाओं में सटीक रूप से स्थापित किया गया है। इसरो ने कहा कि उड़ान भरने के लगभग 23 मिनट बाद प्राथमिक उपग्रह अलग हो गया। उसके बाद छह अन्य सह-यात्री उपग्रह भी अलग हो गए, जिन्हें क्रमिक रूप से इच्छित कक्षाओं में तैनात किया गया। अन्य छोटे उपग्रहों में वेलोक्स एएम, आर्केड, स्कूब- ढ्ढढ्ढ, नूलियोन, गेलेसिया- 2 और ओआरबी- 12 स्ट्राइडर शामिल हैं। पीएसएलवी-सी56 न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड का मिशन है, जो इसरो की वाणिज्यिक शाखा है।
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PSLV-C56 में है एसएआर पेलोड
इसमें इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज द्वारा विकसित सिंथेटिक एपर्चर रडार (एसएआर) पेलोड है, जो सभी मौसम में तस्वीरें लेने में सक्षम है। वहीं, वेलोक्स एएम सूक्ष्म उपग्रह है। एटमास्फेरिक कपलिंग एंड डायनामिक्स एक्सप्लोलर (आर्केड) प्रायोगिक उपग्रह है। स्कूब- ढ्ढढ्ढ नैनो उपग्रह है। गेलेसिया- 2 पृथ्वी की निचली कक्षा में परिक्रमा करेगा। ओआरबी- 12 स्ट्राइडर को अंतरराष्ट्रीय सहयोग के तहत विकसित किया गया है। इसरो के पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हेइकल या PSLV से ये सैटेलाइट अंतरिक्ष तक पहुंचाए गए। इसरो के अनुसार, लिफ़्ट ऑफ़ के 23 मिनट बाद, रॉकेट ने 535 किलोमीटर की दूरी तय की और रॉकेट से सैटेलाइट्स अलग हुए।
360 किलोग्राम है सैटेलाइट का वजन
सिंगापुर सरकार की डिफ़ेंस साइंस एंड टेक्नोलॉजी एजेंसी और एसटी इंजीनियरिंग ने DS-SAR सैटेलाइट विकसित किया है।वेलोक्स एएम, आर्केड, स्कूब- ढ्ढढ्ढ को रिंगापुर के नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी ने विकसित किया है। नूलियोन नुस्पेस पीटीई लि. से संबंधित है। गेलेसिया- 2 को नेशनल यूनिवर्सिटी आफ सिंगापुर ने और ओआरबी- 12 स्ट्राइडर को अलीएना पीटीई लिमिटेड, सिंगापुर ने विकसित किया है। इसका वज़न 360 किलोग्राम है। 535 किलोमीटर की ऊंचाई और 5 डिग्रीज़ इन्क्लिनेशन पर नीयर-इक्वेटोरियल ऑर्बिट में इस सैटेलाइट को लॉन्च किया गया।
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