Iran-Israel Tension:ईरान कर सकता है जवाबी कार्रवाई, इजराइल ने बंद किये 28 दूतावास
दुनिया में एक नये वॉर फ्रन्ट खुलने की संभावना बढ़ गई है. सीरिया की राजधानी दमिश्क स्थित ईरानी राजदूत पर इजराइल ने हवाई हमले किये थे. इसमें ईरान के दो मुख्य कमांडर भी मारे गए थे. इसी बीच ईरान ने इजराइल के खिलाफ कुछ बड़ा करने के संकेत दे दिये हैं. इसके बाद इजराइल ने सुरक्षा कारणों से 28 देशों के अपने दूतावासों को बंद कर दिया है.
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रमजान के बाद ईरान कर सकता है जवाबी कार्रवाई
ईरान रमजान के मद्देनजर अभी हमला कुछ दिन के लिये टाल सकता है. अमेरिका की खुफिया एजेसिंयो के अनुसार सीरिया में एम्बेसी अटैक के बाद ईरान जवाबी कार्रवाई कर सकता है. रमजान खत्म होने के बाद मिडिल ईस्ट में इजरायली या अमेरिकी ठिकानों को ईरान निशाना बना सकता है. एसी आंशका है कि ईरान भी इजराइल के दूतावास पर हमला कर सकता है. इसी को ध्यान में रखते हुए इजराइल ने 28 देशों में अपने दूतावासों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया है.
इजराइल ने सैनिकों को छुट्टियों से बुलाया वापस
ईरान के जवाबी कार्रवाई के मद्देनजर इजराइल हाई अलर्ट पर है. उसने अपने सैनिकों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं वहीं रिजर्व फोर्स को भी एक्टिव कर दिया है. साथ ही हवाई सुरक्षा भी बढ़ा दी है. इजरायली सेना ने गुरुवार को देश पर दागे जा सकने वाले जीपीएस-नेविगेटेड ड्रोन या मिसाइलों को बाधित करने के लिए तेल अवीव के ऊपर मिलिट्री स्क्रेंबल्ड नेविगेशन सिग्नल्स की टेस्टिंग की है.
अमेरिका को हस्तक्षेप न करने की दी नसीहत
In a written message, the Islamic Republic of Iran warns US leadership not to get dragged in Netanyahu's trap for US: Stay away so you won't get hurt. In response US asked Iran not to target American facilities.
— Mohammad Jamshidi (@MhmmdJamshidi) April 5, 2024
वाशिंगटन को दिये गये अपने संदेश में ईरान ने अमेरिका को चेतावनी दी है कि वह नेतन्याहू के जाल में न फंसे. ईरानी राष्ट्रपति के राजनीतिक मामलों के डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ मोहम्मद जमशीदी ने इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू का जिक्र करते हुए एक्स पर लिखा, अमेरिका को “अलग हट जाना चाहिए, ताकि आप पर आंच न आए“. वहीं उन्होंने दावा किया है कि अमेरिका ने जवाब में अपने ठिकानों पर हमला न करने की बात कही है.
बता दें कि ईरान की तरफ से यह संदेश तब भेजा गया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को फोन कर उन्हें समर्थन देने का आश्वासन दिया.
क्या है शैडो वॉर
1979 में ईरान के अंतिम राजा, शाह मोहम्मद रजा पहलवी के तख्तापलट के बाद से ही इस्लामी क्रांति के नेताओं ने इजरायल विरोधी रुख अपना लिया. वहीं इजराइल- फिलिस्तीन विवाद में फिलिस्तीनियों का समर्थन किया. खुद को लेबनान में हिजबुल्लाह और फिलिस्तीन में हमास जैसे समूहों के साथ जोड़ लिया. 1970 से लिबरल सोच वाले इस देश में इस्लामिक क्रांति के नेता अयातुल्ला रूहुल्लाह खुमैनी ने कट्टर इस्लामिक विचारधारा को वापस लागू कर दिया था. उन्होंने इज़रायल को “छोटा शैतान“ और अमेरिका को “बड़ा शैतान“ बताते हुए फिलिस्तीनियों समेत दूसरे लोगों पर अत्याचार करने वाली “अहंकारी“ विश्व शक्तियों के खिलाफ लड़ाई का आह्वान किया. वहीं ईरान की परमाणु प्रोजेक्ट को इजरायल अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानता है. सीरिया और इराक की तरह ही ईरान के परमाणु ठिकानों पर इजराइल हमला कर सकता है.
हालांकि दोनों देश एक-दूसरे से सीधे युद्ध करने से बचते आए हैं. लेकिन अन्य तरीकों से वह दूसरे देश को नुकसान पहुंचाते आ रहे हैं. इजराइल का आरोप है कि ईरान हिजबुल्लाह और हमास जैसे संगठनों को आर्थिक और सैन्य मदद देता है. ताकि वह इजराइल के खिलाफ प्रॉक्सी वार लड़ सके. वहीं इजराइल भी ईरान के अन्य देशों में कमांडर व सैन्य ठिकानों पर कई बार हमला कर चुका है. मगर दोनों देश सार्वजनिक रूप से हमले करने से इनकार करते रहे हैं. इसी कारण से दोनों देशों के बीच की लड़ाई को ’शेडो वॉर’ कहा जाता है. बता दें कि इजराइल ने ईरान के दूतावास पर हमले से इंकार किया था.