केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी ‘आत्मनिर्भर भारत’ कार्यक्रम को प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के तहत छोटी विनिर्माण इकाइयों को कर्ज देने में बैंकों के असहयोग के रूप में एक बड़ी बाधा का सामना करना पड़ रहा है।
कार्यान्वयन एजेंसी खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) में भावी उद्यमियों की ओर से ऐसी शिकायतों की झड़ी लग गई है, जिसमें उनके ऋण आवेदनों पर बैंकों की निष्क्रियता या असहयोग का आरोप लगाया गया है।
ऐसी शिकायतों के बाद केवीआईसी के चेयरमैन विनय सक्सेना ने वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर कहा है, “बैंकों की ओर से इस तरह की उदासीनता देश में स्थायी रोजगार पैदा करने के केंद्र के प्रयासों को पटरी से उतार सकती है।”
राजस्थान के जयपुर में शिवा उद्योग की मालिक सुनैना माथुर ने सात अक्टूबर को सक्सेना को पत्र लिखकर बैंक अधिकारियों की अदासीनता के बारे में शिकायत की, जिसके बाद सक्सेना ने वित्तमंत्री को इस तरह की शिकायतों से अवगत कराया है।
माथुर ने अपनी शिकायत में सक्सेना को बताया कि समयबद्ध भुगतान की गारंटी के साथ सरकार के एक पुष्ट आदेश के बावजूद, उनकी इकाई को 50 लाख रुपये का अल्पावधि कार्यशील पूंजी ऋण प्रदान करने में बैंक अधिकारी उदासीन बने हुए हैं।
जयपुर स्थित शिवा उद्योग को केवीआईसी से इस साल 27 अगस्त को भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) को 40,000 किलोग्राम सरसों का तेल उपलब्ध कराने के आदेश मिले हैं।
27 अगस्त को केवीआईसी ने घोषणा की है कि उसे 1.73 करोड़ रुपये मूल्य की 1,200 क्विंटल कच्छी घानी सरसों तेल की आपूर्ति के लिए आईटीबीपी से पहला ऑर्डर मिला है।
आईटीबीपी एक अर्धसैनिक बल है, जो गृह मंत्रालय की ओर से नियुक्त नोडल एजेंसी है। केवीआईसी और आईटीबीपी ने एक वर्ष के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसे आगे नवीनीकृत किया जाएगा।
पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी), जयपुर की ओर से दिखाई गई उदासीनता के बारे में आईएएनएस से बात करते हुए माथुर ने कहा कि वहां उनका ऋण खाता है।
उन्होंने कहा, “आईटीबीपी को 40,000 किलोग्राम सरसों का तेल देने के लिए केवीआईसी से 57.6 लाख रुपये का ऑर्डर मिला है। हमने 31 अगस्त को पीएनबी शाखा से संपर्क किया, जो पहले युनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया था, जहां कच्चे माल की खरीद के लिए अल्पकालिक कार्य ऋण के लिए हमारा बैंक खाता है।”
उन्होंने कहा कि शाखा प्रबंधक अरुण रछोया के निर्देश पर, उन्हें दो सितंबर को केवीआईसी से जारी एक पत्र भी मिला कि सरकार से सरकार के आदेश (गर्वमेंट टू गर्वमेंट ऑर्डर) के लिए भुगतान सीधे पीएनबी ऋण खाते में प्रेषित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि वह सात सितंबर को झालाना संस्थागत क्षेत्र में सहायक महाप्रबंधक के.सी. मंगल से भी मिली थीं, जिन्होंने कहा था कि उनके ऋण अनुरोध को अनुमोदन के लिए प्रधान कार्यालय (हेथ ऑफिस) को भेजा जाना है।
उन्होंने आगे आरोप लगाया कि उनकी फर्म के ऋण अनुरोध को हेड ऑफिस के साथ कभी साझा ही नहीं किया गया था।
शिवा उद्योग की संचालक ने कहा, “क्योंकि यह एक सरकार का ऑर्डर था। अगर समय पर यह ऑर्डर पूरा नहीं हुआ तो ब्लैकलिस्ट में डाले जाने का दबाव था। इसलिए मुझे ऑर्डर के मुताबिक कच्चा माल खरीदने के लिए दोस्तों और रिश्तेदारों की मदद से पैसे की व्यवस्था करनी पड़ी।”
आईएएनएस ने मंगल से संपर्क करने की कोशिश की, जिन्होंने जयपुर में पीएनबी के महाप्रबंधक देशराज मीणा से संपर्क करने के लिए कहा।
शिवा उद्योग से ऋण के अनुरोध के बारे में पूछे जाने पर मीणा ने आईएएनएस से कहा, “मैं उस ऋण अनुरोध के विवरण की जांच करूंगा।”
केवीआईसी के अध्यक्ष विनय सक्सेना ने कहा, “बैंक अधिकारियों की इस तरह की उदासीनता देश में स्थायी रोजगार पैदा करने के सरकार के प्रयासों को पटरी से उतार सकती है।”
उन्होंने कहा कि केवीआईसी को पीएमईजीपी इकाइयों को ऋण देने में बैंक अधिकारियों के असहयोग से संबंधित कई शिकायतें मिली हैं। सक्सेना ने कहा, “इस मामले को वित्तमंत्री के पास ले जाया गया है।”
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