भारत की पहली महिला सुप्रीम कोर्ट जज ”फातिमा बीवी” का निधन

24 नवंबर को होगा अंतिम संस्कार

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गुरुवार को तमिलनाडु की पूर्व राज्यपाल और सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज फातिमा बीवी का 96 साल की उम्र में निधन हो गया. आधिकारिक स्रोतों प्राप्त जानकारी के अनुसार, न्यायमूर्ति बीवी को कुछ दिन पहले बढ़ती उम्र की बीमारी से अस्पताल में भर्ती कराया गया था और आज लगभग 12 बजे उनका निधन हुआ. सूत्र ने बताया, उनका शव पतनमतिट्टा में स्थित उनके आवास वापस लाया जा रहा है. कल, 24 नवंबर को, पतनमतिट्टा जुमा मस्जिद में अंतिम पूजा की जाएगी.

कौन थी फातिमा बीवी ?

फातिमा बीवी का जन्म अप्रैल 1927 में केरल के पतनमतिट्टा जिले में हुआ था. उनकी प्राथमिक शिक्षा “कैथोलिकेट हाई स्कूल” से हुई, फिर तिरुवनंतपुरम के “यूनिवर्सिटी कॉलेज” से बीएससी की डिग्री हासिल की थी, इसके बाद में उन्होंने तिरुवनंतपुरम विधि महाविद्यालय से कानून की डिग्री ली और 1950 में वकील बन गया. 1958 में उन्हें केरल अधीनस्थ न्यायिक सेवाओं में मुंसिफ नियुक्त किया गया, 1968 में वह अधीनस्थ न्यायाधीश बनीं और 1972 में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट बनीं.

1974 में बीवी जिला एवं सत्र न्यायाधीश बनीं, फिर 1980 में आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण के न्यायिक सदस्य बनीं. 1983 में वह केरल हाई कोर्ट में पदोन्नत हो गईं और अगले ही साल स्थायी जज बन गईं. 1989 में वह सुप्रीम कोर्ट में पहली महिला जज बनीं और 1992 में सेवानिवृत्त हुईं. रिटायर होने के बाद बीवी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का सदस्य बन गया। 1997 में वह तमिलनाडु की प्रधानमंत्री बनीं.

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इन दिग्गज नेताओं ने किया शोक व्यक्त

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने बीवी के निधन पर शोक व्यक्त किया है, उन्होने ने कहा है कि, ”उन्होंने ने लड़कियों के सामने आने वाली शैक्षणिक चुनौतियों से पार पाने से लेकर विधि क्षेत्र में अपना करियर शुरू करने के बाद सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला न्यायाधीश बनने तक की बीवी की यात्रा को याद किया. उन्होंने कहा कि बीवी मुस्लिम समुदाय की पहली महिला थीं, जो उच्च न्यायपालिका का हिस्सा बनीं और उन्होंने सामाजिक स्थितियों के सभी प्रतिकूल पहलुओं को एक चुनौती मानकर उनका सामना किया.”

इसके अलावा केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने न्यायमूर्ति फामिता बीवी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि, ”उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला न्यायाधीश और तमिलनाडु की राज्यपाल के रूप में अपनी छाप छोड़ी. वह एक बहादुर महिला थीं, जिनके नाम कई रिकॉर्ड हैं. वह ऐसी हस्ती थीं, जिन्होंने अपने जीवन से यह दिखाया कि दृढ़ इच्छा शक्ति और मकसद को लेकर समझ होने से किसी भी विपरीत परिस्थिति से पार पाया जा सकता है.”

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