इजराइल हमास युद्ध के बीच हूतियों ने हाइजैक किया जहाज

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इजरायल और हमास के युद्ध का अंतरराष्ट्रीयकरण होना अब संभव दिख रहा है. यमन के हूती विद्रोही भी इजरायल के खिलाफ खुल कर सामने आ रहे हैं. सऊदी अरब की मीडिया के मुताबिक यमन के हूती विद्रोहियों ने रविवार को लाल सागर में 25 क्रू मेंबर वाले एक जहाज को हाइजैक कर लिया . इस जहाज का नाम गैलेक्सी लीडर है. हूती विद्रोहियों ने इसे हाईजैक करने से पहले इसकी चेतावनी भी दी थी.

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क्या है हूती विद्रोहियों के दावे

हूती विद्रोहियों ने पहले ही ये चेतावनी जारी कर दी थी कि इजरायल से चलने वाले सभी जहाजों को टारगेट किया जाएगा. हूती मिलिट्री के प्रवक्ता याह्या सारी ने कहा है कि जहाज में मौजूद सभी होस्टेजेज का इस्लामिक उसूलों और तौर-तरीके व्यवहार किया जा रहा है. विद्रोहियों ने फिर से लाल सागर में जहाजों को निशाना बनाने की धमकी दी है. इस जहाज को दक्षिणी लाल सागर से यमन के बंदरगाह पर ले जाया जाएगा.

नेतन्याहू बोले- जहाज हमारा नहीं

प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू

 

इस प्रकरण में इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हाईजैक के पीछे ईरान के होने की बात कही है, जो कि हूती विद्रोहियों को अपना समर्थन देते हैं. नेतन्याहू ने इसे “अंतर्राष्ट्रीय जहाज़ पर ईरानी हमला” की संज्ञा दी है.
हालांकि इजरायली जहाज के हाईजैक होने के दावे का उन्होंने खंडन किया है. कहा कि यह जहाज हमारा नहीं है. इस जहाज में कोई भी इजरायली नागरिक सवार नहीं था. इजरायली डिफेंस फोर्स ने एक ट्वीट में कहा, ‘दक्षिण लाल सागर में यमन के पास हूतियों की ओर से कार्गो शिप का अपहरण वैश्विक स्तर पर एक बेहद गंभीर घटना है. यह एक ऐसा जहाज है, जिस पर एक भी इजरायली नहीं है. यह जहाज अंतर्राष्ट्रीय नागरिक दल के साथ तुर्की से भारत के लिए रवाना हुआ था.’

 

किस देश का है जहाज?

रिपोर्ट के मुताबिक मालवाहक जहाज का नाम गैलेक्सी लीडर है जो निजी ब्रिटिश कंपनी के अधीन है. डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक इस जहाज पर बहामा का झंडा लगा हुआ था. इसका आंशिक स्वामित्व इजरायली टाइकून अब्राहम अनगर (Abraham Ungar) के भी पास है. वर्तमान में यह एक जापानी कंपनी को लीज पर दिया गया है. 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमास ने आतंकी हमला किया. था, जिसके बाद लगातार इजरायल की ओर से गाजा पर बम बरसाए जा रहे हैं. हूती लगातार इजरायल का विरोध कर रहे हैं.

जहाज हाइजैक: कई देशों पर पड़ेगा असर

हूती विद्रोहियों ने जहाज को इजरायल का समझकर अगवा तो कर लिया पर बाद में ब्रिटेन,जापान समेत कई देशों का इस जहाज से जुड़े होने की रिपार्ट सामने आ रही है. जहाज पर यूक्रेन, बुल्गारिया, फिलीपींस और मैक्सिको का चालक दल है. आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय दबाव हूती विद्रोहियों एवं ईरान को भी झेलना पड़ सकता है. इस हाइजैक से यूरोप और एशिया के बीच होने वाले व्यापार पर भी असर पड़ सकता है. व्यापार के लिए प्रयोग किए जाने वाले समुद्री मार्ग पर हाइजैकिंग की घटना गंभीर है. जिसके चलते निजी व्यापारियों को उनके जहाज की सुरक्षा सुनिश्चित कराना होगा. इसको देखते हुए भारत, तुर्की, इंग्लैंड समेत कई देशों से इस हाइजैक के खिलाफ बयान आ सकते हैं.

 

जापान ने की कड़ी निंदा


वहीं जापान ने ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों द्वारा लाल सागर में जापानी संचालित मालवाहक जहाज गैलेक्सी लीडर के अपहरण की कड़ी निंदा की है. जापान के मुख्य कैबिनेट सचिव ने कहा कि वह इसकी रिहाई की दिशा में काम कर रहे हैं. अमेरिका की ओर से भी कड़ी प्रतिक्रिया सामने आई है.

कौन हैं हूती विद्रोही


हूती की जड़ें यमन से जुड़ी हुई हैं. एक प्रभावशाली मौलवी बद्र अल दीन अल हूती ने अपने बेटे हुसैन अल हूती के साथ मिलकर साल 1990 में इसकी स्थापना की थी. ये दोनों पिता-पुत्र 1979 में हुई ईरानी क्रांति और साल 1980 के दशक में हुई दक्षिण लेबनान में हिजबुल्लाह के उदय से प्रभावित थे. इन्होंने यमन के जायदियों के बीच सामाजिक एवं धार्मिक नेटवर्क बनाना शुरू किया. ये यमन के उत्तरी प्रांत सादा में रहते हैं, जो सऊदी अरब की सीमा पर स्थित है. नेक इरादों के लिए शुरू यह आंदोलन कालांतर में सरकार के खिलाफ खड़ा हो गया. यह विद्रोह इस स्तर पर पहुंच गया कि देश में गृह युद्ध छिड़ गया. हूती विद्रोही यमन के शासक से खफा थे. उनकी नीतियों से खफा थे. तानाशाही का विद्रोह कर रहे थे.

हूती विद्रोहियों को ईरान का समर्थन है हासिल…


यमन के राष्ट्रपति रहे अली अब्दुल्लाह सालेह को चुनौती देने के बाद हूती तेजी से आगे बढ़े और इनका प्रभाव बढ़ता गया. सरकार को सउदी अरब का समर्थन हासिल रहा है. वहीं हूती विद्रोहियों को ईरान का समर्थन हासिल है. हूती विद्रोहियों को हथियार ईरान द्वारा दिया जाता है. जिसका आरोप सउदी हमेशा ईरान पर लगाता आ रहा है. साल 2014 तक इस संगठन का प्रभाव राजधानी साना समेत देश के अन्य हिस्सों तक फैल गया. असल में सरकार ने साल 2004 में हूती की गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया और यहीं से ये सरकार के खिलाफ हमलावर हो गए. आदिवासियों को एकजुट किया. इसी बीच सरकार ने सादा में इनके खिलाफ एक बड़ा अभियान छेड़ दिया. इस बीच संस्थापक सदस्यों में से एक हुसैन को यमन की सेना ने मार गिराया.
उधर, अमेरिका ने यमन का समर्थन कर दिया. देखते ही देखते हूती आतंकवाद की श्रेणी में आ गए और यमन गृह युद्ध की आग में झुलसने को विवश हो गया. इस बीच हूती लगातार मजबूत होते गए. उन्हें सरकारी मशीनरी का भी समर्थन मिलने लगा और साल 2010 में इस विद्रोही संगठन ने सादा पर पूरा नियंत्रण पा लिया.

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