ज्ञानवापी मामले में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी सहित अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने से सम्बंधित सुनवाई अदालत में शनिवार को नहीं हो सकी. वकीलों की हड़ताल थी इसलिए सुनवाई टल गई है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी.
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यह मामला अपर सत्र न्यायाधीश नवम की अदालत में विचाराधीन है. आरोप है कि ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के दौरान शिवलिंग की आकृति मिली थी. इस पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव और एआईएमआईएम नेता ने टिप्पणी की थी. इससे हिंदुओं की आस्था को चोट पहुंची थी. इस मामले में अवर न्यायालय द्वारा अखिलेश और ओवैसी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आवेदन खारिज किए जाने पर वरिष्ठ अधिवक्ता और वादी हरिशंकर पांडेय ने निगरानी याचिका दाखिल की है.
वजूखाने में गंदगी करने से सनातनधर्मियों की भावना हुई आहत
बता दें कि सिविल कोर्ट के एडवोकेट हरिशंकर पांडेय ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) के तहत प्रार्थना पत्र दिया था. कहाकि ज्ञानवापी के वजूखाने में 16 मई को शिवलिंग मिला था. जहां शिवलिंग मिला था वहां हाथ-पैर धोए जाने, थूकने और गंदा पानी बहाने से असंख्य सनातनधर्मियों का मन पीड़ा से भर गया है. आरोपितों ने साजिश के तहत स्वयंभू आदि विश्वेश्वर के शिवलिंग को फव्वारा कहकर सनातनधर्मियों की आस्था पर कुठाराघात और आमजन में विद्वेष फैलाने का काम किया है. प्रार्थना पत्र में लिखा है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बयान दिया कि पीपल के पेड़ के नीचे पत्थर रखकर झंडा लगा दो तो वहीं भगवान और शिवलिंग हैं. सांसद असदुद्दीन ओवैसी और उनके भाई हिंदुओं के धार्मिक मामलों और स्वयंभू आदि विश्वेश्वर के खिलाफ लगातार अपमानजनक बात कह रहे हैं. इन नेताओं की बातें जनभावनाओं के खिलाफ हैं. इस पूरे मामले की साजिश में अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी, शहर काजी और शहर के उलेमा सहित अन्य लोग शामिल हैं. इन सभी के आचरण से हिंदू समाज मर्माहत है. इसलिए आरोपितों के खिलाफ धार्मिक भावनाएं आहत करने सहित अन्य आरोपों के तहत मुकदमा दर्ज कर विवेचना करने का आदेश कोर्ट दे. गौरतलब है कि इस मामले में सपा प्रमुख अखिलेश यादव की ओर से उनके अधिवक्ता कोर्ट में पेश हो चुके हैं.