विधानसभा चुनाव हार कर भी जीते राहुल गांधी

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आशीष बागची

गुजरात व हिमाचल प्रदेश विधानसभा के चुनाव परिणाम आ गये हैं। दोनों ही प्रदेशों में भाजपा सत्‍ता प्राप्ति की ओर बढ़ गयी है। पर, गुजरात का परिणाम यह बताता है कि हार कर भी राहुल गांधी जीते हैं और जीतने के बाद भी भाजपा हारी है। आम तौर पर ऐसी ही बात लोग मानकर भी चल रहे थे कि भाजपा छठीं बार चुनाव जीतने जा रही है, मगर इतनी कड़ी टक्‍कर कांग्रेस देगी इसका लोगों को अनुमान नहीं था। अब कर्नाटक, मध्‍यप्रदेश, छत्‍तीसगढ़, राजस्‍थान व त्रिपुरा में होने जा रहे चुनावों पर कड़ी टक्‍कर देखने को मिलेगी। लोगों को इन चुनावों का बेसब्री से इंतजार है।

इस लेख को लिखते समय गुजरात में भाजपा 98 व कांग्रेस 81 सीटों पर या तो विजयी रही है या रूझानों में आगे है। यही हाल हिमाचल प्रदेश में भी है। वहां भाजपा 44 व कांग्रेस 22 सीटों पर या तो आगे है या जीत रही है। गुजरात में भाजपा की लगातार छठी जीत है। इसे मामूली नहीं माना जा सकता। हिमाचल की सत्‍ता भाजपा ने कांग्रेस से छीन ली है।

कभी पूरे देश पर शासन करने वाली कांग्रेस का चार-पांच राज्‍यों तक ही सीमित रह जाना राजनीति का अहम पड़ाव है। 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी को जितनी बड़ी जीत मिली थी, कांग्रेस के लिए उतनी ही अभूतपूर्व हार थी। 1984 के आम चुनाव में 415 सीटें जीतने वाली कांग्रेस 30 साल बाद उतनी सीट भी नहीं जीत पाई, जितने प्रतिशत वोट उसे राजीव गांधी के समय में मिला था। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस को 48% वोट मिले थे, जबकि पिछले आम चुनाव में वह 44 सीटों पर सिमटकर रह गई थी।

कांग्रेस की अब 29 में से केवल 4 राज्यों कर्नाटक, पंजाब, मिजोरम और मेघालय में सरकार बची है। दूसरी तरफ, इस समय बीजेपी 14 राज्यों में अपने बूते सरकार चला रही है और 5 राज्यों में गठबंधन सरकार में जूनियर पार्टनर है। लोकसभा चुनाव के बाद से 18 राज्यों में चुनाव हो चुके हैं, जिनमें से 11 में बीजेपी जीती है। वहीं, कांग्रेस को सिर्फ दो राज्यों में सरकार बनाने में सफलता मिली।

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बेहद दिलचस्प रहे गुजरात विधानसभा चुनाव में जिन मुद्दों और जिन फैक्टर्स की चर्चा सबसे ज्यादा थी, वे सभी एक तरह से बेअसर साबित हुए हैं। यह साफ है कि जीएसटी-नोटबंदी और पटेल फैक्टर से लेकर आदिवासी-दलितों के मुद्दे ने भी न तो बीजेपी को कोई बड़ा नुकसान पहुंचाया और न ही कांग्रेस को कोई खास फायदा दिलाया।

चुनाव में सबसे ज्यादा चर्चा हार्दिक फैक्टर की थी। हार्दिक पटेल की अगुवाई में हुए पाटीदार आंदोलन के चलते माना जा रहा था कि बीजेपी को बड़ा नुकसान हो सकता है। जिस तरह हार्दिक ने बीजेपी के विरोध और कांग्रेस के समर्थन का ऐलान किया, उसे देखते हुए बीजेपी को बड़े नुकसान की आशंका जताई जा रही थी, लेकिन साफ है कि सौराष्ट्र-कच्छ के इलाके को छोड़कर प्रदेश के बाकी सभी इलाकों में पटेलों ने बीजेपी का भरपूर साथ दिया है।

बीजेपी का शानदार प्रदर्शन यह समझने के लिए भी काफी है कि चुनाव में जीएसटी कोई बड़ा मुद्दा नहीं बन पाया और व्यापारियों ने नाराजगी के बावजूद बीजेपी का साथ नहीं छोड़ा। इसलिए इस बार का चुनाव परिणाम कांग्रेस के लिए संजीवनी जैसा माना जाना चाहिये। ऐसा ही अनेक राजनीतिक विश्‍लेषक मान रहे हैं।

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