साक्षात्कार : पहले कुछ क्षेत्रों में ‘टेस्टिंग मोड’ में लागू हो GST

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वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली को देश भर में पूरी तरह लागू करने से पहले चुनिंदा उद्योगों और सेवा क्षेत्रों में परीक्षण के लिए लागू करना चाहिए। कर मामलों के एक शीर्ष वकील ने गुरुवार को यह बात कही।  जानेमाने कर और कॉरपोरेट वकील पी. दातार ने कहा, “अभी तक यह पता नहीं है कि क्या सॉफ्टवेयर का परीक्षण किया गया है। अफरातफरी से बचने के जीएसटी शासन को विभिन्न चरणों में लागू करना चाहिए। इसे पहले चुनिंदा उद्योगों में लागू करना चाहिए, उसके बाद ही इसका आगे विस्तार करना चाहिए।”

दातार ने कहा कि अभी तक यह भी ज्ञात नहीं है कि जीएसटी सर्वर एक दिन में देश भर में विभिन्न व्यवसायों द्वारा इतनी बड़ी संख्या में दाखिल किए जानेवाले र्टिन्स का भार उठा पाएगा या नहीं। उन्होंने कहा कि जीएसटी से उन्हें एतराज नहीं है, बशर्ते इसमें ‘एक देश एक कर’ की बात हो, लेकिन इसका वर्तमान रूप जो लागू किया जा रहा है, वह जीएसटी नहीं है।

उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों का राज्य जीएसटी एक जैसा नहीं है। उनके मुताबिक, संविधान का अनुच्छेद 246ए राज्यों को वस्तुओं और सेवाओं पर अतिरिक्त शुल्क या कर लगाने की इजाजत देता है। इसलिए उन्हें जीएसटी पर अतिरिक्त कर लगाने से रोका नहीं जा सकता।

दातार ने सिंगापुर का उदाहरण देते हुए कहा कि सभी उत्पादों पर एक समान सात फीसदी कर लगाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित जीएसटी के अंदर व्यापारियों को रिटर्न पहले से भी ज्यादा संख्या में फाइल करना होगा, जो दो से लेकर 49 तक होंगे।

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उदाहरण के लिए एक सेवा प्रदाता जैसे डाग्नोस्टिक सेंटर फिलहाल हर साल दो सेवा कर र्टिन फाइल करता है। लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद उसे हर महीने की 10, 15 और 20 तारीख को रिटर्न फाइल करना होगा, जोकि साल में कुल 36 रिटर्न्‍स होते हैं।

इसके अलावा डायग्नोस्टिक सेंटर को 12 टीडीएस रिटर्न्‍स और एक सालाना रिटर्न भी फाइल करना होगा। इस तरह से अभी के साल के दो रिटर्न से बढ़कर ये सीधे 49 रिटर्न्‍स हो जाएंगे। इससे प्रणाली पर भी बहुत भार पड़ेगा, क्योंकि एक ही दिन बहुत सारे रिटर्न फाइल किए जाएंगे।

दातार का कहना है कि जीएसटी के लिए 20 लाख रुपये की सीमा तय करने से व्यापार को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटने की घटनाएं बढ़ेंगी और कर से बचने के लिए मशरूम की तरह छोटे-छोटे कई व्यवसाय उग आएंगे। हमारा देश अभी जीएसटी के लिए तैयार नहीं है। दातार ने कहा कि वर्तमान प्रणाली काफी अच्छी है और समस्या इसके लागू करने में है।

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