माफी मांगने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट से पतंजलि को नहीं मिली राहत

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नई दिल्ली: पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले में आज एक बार फिर बाबा रामदेव को राहत नहीं मिली है. सुप्रीम कोर्ट में आज इस मामले में जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानतुल्लाह की खंडपीठ ने सुनवाई की. बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण इस मामले में तीन बार कोर्ट में पेश हो चुके हैं. बाबा रामदेव के वकील ने आज एक बार फिर कोर्ट से माफी मांगी लेकिन कोर्ट ने माफी स्वीकार नहीं की और आगामी 30 अप्रैल को सुनवाई के दौरान फिर दोनों लोग को कोर्ट में मौजूद रहने का फैसला दिया.

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को भी फटकार

बता दें की आज सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को भी फटकार लगाई. अदालत ने कहा कि वह पतंजलि पर अंगुली उठा रहा है, जबकि चार अंगुलियां उन पर इशारा कर रही हैं. आईएमए से सुप्रीम कोर्ट ने पूछते हुए कहा कि आपके (आईएमए) डॉक्टर भी एलोपैथिक क्षेत्र में दवाओं का समर्थन कर रहे हैं. अगर ऐसा हो रहा है, तो हमें आप (आईएमए) पर सवाल क्यों नहीं उठाना चाहिए?

30 अप्रैल को अगली सुनवाई…

सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई 30 अप्रैल को करेगी. कोर्ट का कहना है कि यह किसी विशेष पार्टी के खिलाफ हमला करने के लिए नहीं है, यह उपभोक्ताओं या जनता के व्यापक हित में है कि उन्हें कैसे गुमराह किया जा रहा है और सच्चाई जानने का उनका अधिकार है और वे क्या कदम उठा सकते हैं.

माफीनामा विज्ञापन को रिकॉर्ड पर लाइए…

कोर्ट में पतंजलि ने कहा कि उनकी तरफ से पेपर में माफीनामा प्रकाशित किया गया है. हालाँकि यह बात रिकॉर्ड पर नहीं है इस पर वकील ने कहा कि वो आज इसे रिकॉर्ड में डालेंगें. इस पर बेंच ने कहा कि मामला केवल पतंजलि तक ही नहीं है, बल्कि दूसरे कंपनियों के भ्रामक विज्ञापनों को लेकर भी चिंता है. सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को साफ तौर पर कहा कि माफीनामे का नया विज्ञापन भी पतंजलि को प्रकाशित करना होगा और उसे भी रिकॉर्ड पर लाना होगा.

जस्टिस कोहली ने जताई चिंता…

इस मामले को लेकर जस्टिस कोहली ने चिंता जताई और कहा कि बच्चों, शिशुओं, महिलाओं को देख रहे हैं और किसी को भी धोखा नहीं दिया जा सकता है और केन्द्र सरकार को इस पर जागना चाहिए. केवल इस अदालत के समक्ष प्रतिवादियों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अन्य एफएमसीजी भी जनता को भ्रमित करने वाले भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित कर रहे हैं, विशेष रूप से शिशुओं, स्कूल जाने वाले बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहे हैं… जो उनके उत्पादों का उपभोग कर रहे हैं.

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