योगी जी, दुकान में पढ़ेंगे बच्चे तो कैसे बढ़ेंगे बच्चे
बारिश का महीना आते ही उन गांवों और शहरों के ऊपर खतरा मंडराने लगता है जो किसी नहर और नदी के किनारे बसे होते हैं। ऐसे में सबसे ज्यादा दिक्कत उन गांवों के बच्चों को होती है जो गांव से दूर कहीं स्कूल जाते हैं। क्योंकि ऐसे में गांव के सभी रास्ते बंद हो जाते हैं।
अब आप गोरखपुर के संदुली-बेंदुली गांव को ही ले लीजिए, इस गांव में आप प्राथमिक विद्यालय तक पहुंचने के लिए लाख जतन कर लीजिए लेकिन निराशा ही हाथ लगेगी। दरअसल, स्कूल को जाने वाली कच्ची सड़क बारिश की वजह से बाढ़ का पानी आने से रास्ता ही गायब हो गया है। जिसका खामियाजा यहां के बच्चों को उठाना पड़ रहा है।
स्कूल में पानी भर जाने से बच्चों को अब दुकान में बैठकर पढ़ना पड़ रहा है। ये कोई नई बात नहीं हैं कि स्कूल पानी में डूब गया है। हर साल इस गांव के लिए ये बाढ़ मुसीबत का सबब बनती है। लेकिन उसके बाद भी सरकार और स्थानीय प्रशासन इस तरफ कोई ध्यान नहीं देता है। एक तरफ सरकार हजारों करोड़ रुपए इन बच्चों के भविष्य को लेकर खर्च कर रही है।
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लेकिन इस तरफ से खर्च का क्या मतलब कि बच्चे किसी स्कूल में पढ़ने के बजाए किसी दुकान में पढ़ने को मजबूर हो जाएं। वहीं स्कूल के प्रधानाचार्य धर्मेन्द्र कुमार सिंह बताते हैं कि हर साल बरसात और बाढ़ में विद्यायल पानी में डूब जाता है। बाढ़ के कारण विद्यालय तक पहुंच पाना मुश्किल होता है। इसलिए जब तक बाढ़ का असर रहेगा विद्यालय दुकान में ही चलाना पड़ेगा। जिससे, बच्चों की पढ़ाई पर इसका प्रभाव नहीं पड़े।
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