सरकारी बैंकों मे सरकार अपनी हिस्सेदारी कम कर सकती है। क्रेडिट फ्लो को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी योजना में कुछ संशोधनों करवा रहें। जिसके अनुसार सरकार प्रबंधन पर अपनी पकड़ को कम किया बिना अपनी हिस्सेदारी 25 प्रतिशत कर सकती है।
पिछले 2 दिनों से सरकारी बैंक कर्मचारी निजीकरण के विरोध में हड़ताल पर हैं। बताया जा रहा है कि अगर यह प्रस्ताव पारित हो जाता है तो सरकारी बैंकों में सरकार अपनी हिस्सेदारी को 51 से घटाकर 26 फीसदी तक कर सकती है।
कानून में होगा संशोधन:
यह संशोधन 1969 में भारत में लागू की गई बैंकों के राष्ट्रीयकरण की नीतियों के विपरीत बैंकों के निजीकरण को बढ़ावा देने वाला है। जानकारी के अनुसार शुरुआती बातचीत अभी जारी है और इसमें बदलाव भी किया जा सकता है। कैबिनेट के सामने अभी यह प्रस्ताव नही रखा गया है। बता दें कि इस प्रस्ताव के बारे में अभी तक कहीं से कोई आधिकारिक पुष्टि भी नहीं हुई है।
हालांकि बैंकों के निजीकरण पर सरकार को लगातार भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। पिछले 2 दिन से बैंकों के निजीकरण के खिलाफ बैंक यूनियन हड़ताल पर हैं।
वहीं दूसरी ओर मोदी सरकार का मानना है कि इस फैसले से सरकारी बैंकों में निवेश करने वाले निवेशकों की स्थिति में सुधार होगा। बता दें कि एयर इंडिया का हाल ही में निजीकरण किया गया है। अब देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी को भी निजीकरण करने की तैयारी की जा रही है।
यह भी पढ़ें: भूटान ने पीएम मोदी को सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा, कहा- बिना शर्त निभाई दोस्ती
यह भी पढ़ें: शनिवार को प्रियंका के साथ अमेठी जा रहे हैं राहुल गांधी, मोदी सरकार के नीतियों के विरोध में करेंगे पदयात्रा
(अन्य खबरों के लिए हमेंफेसबुकपर ज्वॉइन करें। आप हमेंट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं। अगर आप हेलो एप्प इस्तेमाल करते हैं तो हमसे जुड़ें।)