काजी नियुक्त करने का अधिकार हुकूमत का है : वसीम रिजवी

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संविधान को ताक पर रख कर देश में करीब 80 से अधिक शरई अदालतें चल रही हैं और लगातार काजी (जज) नियुक्त किए जा रहे है। ये संविधान के खिलाफ है। इसलिए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड (Board) पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। ये बातें उत्तर प्रदेश शिया सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी  ने कही।

इसकी इजाजत हमारे देश के संविधान में नहीं हैं…

वसीम रिजवी ने कहा कि देश में करीब 80 से अधिक शरई अदालतें चलने की बात खुद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी मानी है।

जबकि इसकी इजाजत हमारे देश के संविधान में नहीं हैं। भारतीय संविधान किसी भी समाज या संगठन को किसी भी तरह की अदालत का गठन करने और जज नियुक्त करने की इजाजत नहीं देता।

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रिजवी ने कहा कि शऱईया कानून के अनुसार काजी (जज) नियुक्त करने का अधिकार सिर्फ हुकूमत को है। जिस मुल्क में शरीयत के अनुसार इस्लामिक हुकूमत होती है वहां हुकूमत काजी (जज ) नियुक्त करते हैं। भारत में काजी नियुक्त किया जाना गैरसंवैधानिक है।

पर्सनल लॉ बोर्ड पर तत्काल प्रतिबंध लगा देना चाहिए

देश में 80 से ज्यादा शरई अदालतें चल रहीं हैं लगातार काजी नियुक्त किये जा रहे हैं। रिजवी ने कहा कि सरकार को चाहिए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर तत्काल प्रतिबंध लगा देना चाहिए।

इतना ही नहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सभी मुल्लाओं पर जो शरई अदालतें खोल कर काजी नियुक्त करने के जिम्मेदार हैं। उनके विरुद्ध देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाये। इनकी जड़ों को फैलने से रोकना चाहिए नहीं तो ये देश के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है।

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