गाजीपुर: साहित्यकार और पत्रकार रामावतार का निधन…

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वरिष्ठ पत्रकार और मूर्धन्य साहित्यकार “विश्वकर्मा चरित मानस” के रचयिता रामावतार का आज रात निधन हो गया है, 85 वर्षीय रामावतार जी का निधन उनके सुखदेवपुर निवास पर हुआ. बीती रात वे वाराणसी से एक निमंत्रण कर लौट रहे थे और शयन के लिए अपने कक्ष की सीढ़ियों पर चढ़ते समय उनकी तबीयत बिगड़ने लगी. परिजन उन्हें तत्काल जिला चिकित्सालय ले गए, जहां उनका निधन हो गया.

रामावतार के परिवार में दो पुत्र संजय कुमार शर्मा और अजय कुमार शर्मा हैं, जबकि उनकी पत्नी का पहले ही निधन हो चुका है. रामावतार का जन्म 1 सितंबर 1941 को गाजीपुर के सुखदेवपुर में हुआ था, उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सिटी स्कूल से प्राप्त की और उच्च शिक्षा इलाहाबाद (अब प्रयागराज) विश्वविद्यालय से पूर्ण की है.

गुलाब राय पुरस्कार से रहे सम्मानित

अपने पेशेवर जीवन में रामावतार लखनऊ और कोलकाता जैसे शहरों में भी कार्यरत रहे, लेकिन 1973 से 1984 तक दिल्ली में “जनयुग” पत्रिका के उप संपादक के रूप में काम किया. दिल्ली में प्रसिद्ध उपन्यासकार जैनेन्द्र कुमार से मिली प्रेरणा के बाद उनका रुझान पत्रकारिता से साहित्य की ओर बढ़ा. दिल्ली में रहते हुए उन्होंने दो उपन्यास लिखे जो पूर्वोदय प्रकाशन से प्रकाशित हुए. इसके अलावा, 1971 में उन्होंने ज्ञानेंद्र कुमार की वैचारिक पाक्षिक पत्रिका “कल्प” का संपादन भी किया.

1984 में “जनयुग” से इस्तीफा देने के बाद रामावतार जी गाजीपुर लौट आए और यहां “गाजीपुर टाइम्स” नामक हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र का प्रकाशन और संपादन 2007 तक किया. “वेद और हमारा जीवन” पर लेखन के लिए उन्हें उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा गुलाब राय पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

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भाजपा जिलाध्यक्ष ने जताया शोक

रामावतार साहित्य के क्षेत्र में प्रमुख कथाकार थे, वे सामाजिक और पारिवारिक समस्याओं को अपने लेखन का केंद्र बनाते थे और उनकी भाषा सरल लेकिन गहरे भावों से भरी हुई थी. हालांकि वे कवि नहीं थे, लेकिन “विश्वकर्मा चरित मानस” जैसी कविता लिखकर उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि अगर वे कविता लिखते, तो वे एक अच्छे कवि भी होते. भाजपा जिलाध्यक्ष सुनील कुमार सिंह और जिला मीडिया प्रभारी शशिकांत शर्मा ने रामावतार जी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि, उनके योगदान से समाज और साहित्य जगत की अपूरणीय क्षति हुई है. रोहिणी कुमार मुन्ना के नेतृत्व में गठित सामाजिक संस्था “विश्वकर्मा समाज” के आजीवन जिला महामंत्री के रूप में रामावतार जी ने साहित्य और समाज के लिए अनेक योगदान दिए.

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