Waqf Board की दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज…

Supreme Court: वक़्फ़ संसोधन कानून का आज बड़ा दिन है. देश के दोनों सदनों से पास हो जाने के बाढ़ इस बिल का मुस्लिम संगठनों, राजनितिक दलों , राज्य सरकारों ने विरोध किया था और इसकी वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसको लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. इससे अब यह साफ़ होगा कि वक़्फ़ कानून संविधान की कसौटी पर खरा उतरेगा .

CJI की बेंच करेगी सुनवाई…

बता दें कि कोर्ट में वक़्फ़ बिल के विरोध में दायर सभी याचिकाओं पर आज सुनवाई करेगी. इसको CJI संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच के समक्ष ऐसी 73 याचिकाओं को लिस्ट किया गया है. आज यानी 16 अप्रैल की दोपहर दो बजे इन पर सुनवाई शुरू होगी.

इन दलों और नेताओं ने दायर की है याचिकाएं…

याचिकाकर्ताओं में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, CPI, जगन मोहन रेड्डी की YSRCP, समाजवादी पार्टी, अभिनेता विजय की TVK, RJD, JDU, असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM, AAP और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग सहित विभिन्न दलों के नेता शामिल हैं. चुनौती देने वाले नेताओं में हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी, AAP विधायक अमानतुल्ला खान, TMC नेता महुआ मोइत्रा, RJD सांसद मनोज कुमार झा और फैय्याज अहमद के साथ कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद जैसे लोग शामिल हैं.

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7 राज्य अधिनियम के पक्ष में पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

इस बीच, सात राज्यों ने अधिनियम के समर्थन में शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है. उन्होंने इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है. उनका तर्क है कि ये अधिनियम संवैधानिक रूप से सही है. इसमें कोई भेदभाव नहीं है. उनका कहना है कि ये कानून वक्फ संपत्तियों के कुशल और जवाबदेह प्रशासन को सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है. इन राज्यों में हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और असम सरकार ने कानून के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है.

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केंद्र ने दाखिल किया कैविएट …

केंद्र सरकार ने इस मामले में कैविएट दाखिल किया है. कैविएट एक कानूनी नोटिस होता है. इसका मतलब है कि कोर्ट कोई भी आदेश देने से पहले केंद्र सरकार का पक्ष सुनेगा.संसद के दोनों सदनों में लंबी बहस के बाद, वक्फ बिल पारित हो गया. राज्यसभा में 128 सदस्यों ने इसके पक्ष में वोट किया तो वहीं 95 ने विरोध में. लोकसभा में इस अधिनियम के पक्ष में 288 वोट मिले और विरोध में 232. इसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिल गई. इस तरह ये बिल एक कानून बन गया.