मरने के पहले रिजवाना ने बयां किया था दर्द, हिजाब की वजह से होती थी हूटिंग
फ्रीलांस जर्नलिस्ट रिजवाना तबस्सुम ने दुनिया को अलविदा कह दिया
फ्रीलांस जर्नलिस्ट रिजवाना तबस्सुम ने दुनिया को अलविदा कह दिया। लेकिन अपने पीछे छोड़ गई कई यादें। सिर से पांव तक हिजाब में सिमटी रहने वाली तबस्सुम ने बेहद कम वक्त में बनारस की पत्रकारिता में एक अलग जगह बनाई। आम तौर पर बनारस की पत्रकारिता में पुरुषों का दबदबा रहता है, बावजूद इसके तबस्सुम ने अपनी कई खबरों से बड़े-बड़े खबरनवीसों को चारों खाने चित्त कर दिया। खासतौर से बीएचयू की रिपोर्टिंग करते वक्त उसका कोई तोड़ नहीं रहता।
हिजाब की वजह से कई जगह हूटिंग-
रिजवाना तबस्सुम ने मरने से पहले ‘वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे’ के मौके पर एक आर्टिकल लिखा। इसमें उसने बीएचयू में रिपोर्टिंग के दौरान होने वाली परेशानियों का जिक्र किया। रिजवाना ने पिछले साल बीएचयू के धर्म कला संस्कृत विज्ञान संकाय में मुस्लिम प्रोफेसर फिरोज खान की नियुक्ति को लेकर हुए विवाद का जिक्र किया है। रिजवाना ने लिखा की इस मुद्दे की रिपोर्टिंग के दौरान उनके ऊपर अभद्र टिप्पणी की गई। हिजाब पहनकर रिपोर्टिंग करने पर छात्रों ने उनके ऊपर तंज कसा था। इस बकाए से वो काफी दिनों तक परेशान रही।
बड़े संस्थाओं के लिए करती थी रिपोर्टिंग-
रिजवाना तबस्सुम तेवरदार पत्रकारिता के लिए पहचान रखती थी। सत्ता की चाटुकारिता करने के बजाय वो सच के साथ खड़ा रहती थी। यही कारण है कि बीबीसी और वायर जैसे मीडिया संस्था तबस्सुम के आर्टिकल को हाथों हाथ लेते थे। उनकी मौत की खबर सुनकर सोशल मीडिया पर लोग शॉक्ड हैं। लोगों को विश्वास नहीं हो रहा है कि तबस्सुम इस दुनिया से रुख्सत हो गई है।
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