असम के डिब्रूगढ़ में आयोजित भारत के सबसे लंबे रेल-सड़क बोगीबील पुल के उद्धाटन समारोह में नहीं बुलाए जाने पर पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा (Gowda) नाराज हो गए हैं। उद्धाटन समारोह में नहीं बुलाए जाने के सवाल पर बुधवार को उन्होंने कहा कि वह इससे सबसे कम परेशान हैं। देवगौड़ा ने कहा कि इलाके के लोग उनके योगदान को स्वीकार करेंगे।
नरेंद्र मोदी को इस पुल के लिए धन्यवाद दिया था
देवगौड़ा का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब एक दिन पहले ही उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, डॉक्टर मनमोहन सिंह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस पुल के लिए धन्यवाद दिया था। बुधवार को संवादाताओं से बातचीत में देवगौड़ा ने कहा, ‘असम में बोगीबील पुल की नींव मेरे कार्यकाल के दौरान रखी गई थी लेकिन इसे पूरा करने में 21 साल लग गए। मैं क्या कर सकता हूं?
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उद्धाटन में नहीं बुलाए जाने पर मैं सबसे कम परेशान हूं। इलाके के लोग मेरे योगदान को स्वीकार करेंगे।’ इससे पहले देवगौड़ा ने ट्वीट कर कहा था, ‘बोगीबील पुल वेल कनेक्टेड इंडिया का एक प्रतीक है। मैं अटल बिहार वाजपेयी, डॉक्टर मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी को हमारी सरकार के इस ड्रीम प्रॉजेक्ट को पूरा करने में उनके योगदान के लिए धन्यवाद देता हूं।’ बता दें कि मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असम के डिब्रूगढ़ में भारत के सबसे लंबे रेल-सड़क पुल का उद्धाटन किया था।
आपात स्थिति में लड़ाकू विमान भी उतर सकेंगे
ब्रह्मपुत्र नदी पर बोगीबील में बनी 4.94 किलोमीटर लंबी और रणनीतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण यह परियोजना न केवल आम लोगों के लिए बल्कि देश की सुरक्षा के लिए बल्कि अग्रिम मोर्चे पर सैन्य साजो सामान भेजने में अहम भूमिका निभाएगी। इस पुल पर आपात स्थिति में लड़ाकू विमान भी उतर सकेंगे। यह बोगीबील पुल, असम समझौते का हिस्सा रहा है और 1997-98 में इसकी सिफारिश की गई थी।
आपको बता दें कि यह पुल अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा पर रक्षा सेवाओं के लिए भी संकट के समय में खास भूमिका निभा सकता है। तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने 22 जनवरी, 1997 को इस पुल की आधारशिला रखी थी लेकिन इस पर काम 21 अप्रैल, 2002 को अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के समय में शुरू हो सका। पुल का शुभारंभ आज 25 दिसंबर को वाजपेयी की वर्षगांठ पर किया गया है।
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