सांप और इंसान में है यहां ‘बाप-बेटे’ का रिश्ता

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छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में जोगीनगर के हर घर में जहरीले सांपों का लालन-पालन बेटों की तरह किया जाता है। यदि पाले हुए सांप की किसी कारणवश पिटारे में ही मौत हो जाए तो पालक द्वारा पूरे सम्मान के साथ मृत सांप का अंतिम संस्कार किया जाता है। पालक अपनी मूंछ-दाढ़ी मुड़वाता है और पूरे कुनबे को भोज भी कराता है।

अमात्य गौड़ समुदाय

महासमुंद नगर के उत्तर में 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जोगी नगर। नगर पंचायत तुमगांव की सीमा में आबाद यह बस्ती लगभग ढाई दशक पूर्व अमात्य गौड़ समुदाय में घुमंतू खानाबदोश सपेरों द्वारा बसाई गई है। यहां के लोगों का मुख्य पेशा है, सांप पकड़ना और लोगों के बीच उसका खेल दिखाकर अपनी आजीविका चलाना। इस काम में बच्चे भी पूरी निर्भीकता से बड़ों का साथ देते हैं। इसलिए हर घर में सांप पाला जाना स्वाभाविक है।

औषधीय जड़ी-बूटी के जानकार

खास बात यह है कि किसी भी सांप को सपेरा केवल दो माह तक ही अपने पास रखता है। फिर उसे कहीं दूर उचित जगह पर खुला छोड़ दिया जाता है। दिव्य औषधीय जड़ी-बूटी के जानकार जनजातीय सपेरे समय-समय पर सांप-बिच्छू से पीड़ित लोगों को लाभप्रद उपचार सुविधा भी उपलब्ध कराते रहते हैं। बहरहाल, सपेरों के सामने अपने पुश्तैनी कार्य को जारी रखने में अब दिक्कतें पेश आने लगी हैं। वन विभाग सांप पालने पर आपत्ति के साथ लगातार दबाव बना रहा है कि सांप को पकड़कर रखना बंद करें।

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