Farmer Protest 2.0: MSP की मांग गलत तो, क्या किसानों पर हमला सही?
Farmer Protest 2.0: उत्तर भारत के पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से बड़ी संख्या में किसानों का दिल्ली मार्च शुरू करना कोई अच्छा संकेत नहीं मना जा रहा है. जिस तरह किसानो को रोकने केलिए कथित तौर पर ड्रोन के जरिए आंसू गैस के गोले बरसाए जा रहे हैं, जिसके माध्यम से उन्हे विजुअली परेशान किया जा रहा है, वह भी सही कहने योग्य नहीं है. हालांकि, इसका मतलब यह भी नहीं है कि, किसानों की मांगे उचित हैं.
क्योकि जिस तरह की तैयारियों के साथ किसान दिल्ली की तरफ कूच करने के लिए लगातार बढ़ रहे हैं, उससे लगता है कि पहले की तरह इस बार भी किसान लंबे अंदाज आंदोलन का मन बना चुका है. अगर ऐसा हुआ तो उसका मतलब होगा राष्ट्रीय राजधानी के इर्दगिर्द लंबे समय की जत्थेबंदी, जिससे न केवल दिल्ली-एनसीआर में रहने वालों का दैनिक कामकाज बाधित होता है, बल्कि बाहर यह संदेश भी जाएगा कि, देश में शायद सबकुछ ठीक-ठाक नहीं है.
मांगे अव्यावहारिक
किसानों की मुख्य मांग है, एमएसपी की कानूनी गारंटी यह मांग अव्यावहारिक है. इसके साथ यह समझाना जरूरी है कि ऐसी कोई भी गारंटी वास्तव में महज एक कागजी वादा होगी. अनुभव बताता है कि, यह वादा अमल में नहीं आता है.
डिमांड और सप्लाई
मिसाल के तौर पर भारत सरकार 22 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करती है, लेकिन इन सबका फायदा किसानों को नहीं मिल पाता. उन्हें फसल के लिए डिमांड और सप्लाई के आधार पर बाजार में निर्धारित मूल्य ही मिल पाते हैं. एमएसपी का असर मुख्यतः दो ही फसलों पर दिखाता है वे धान – गेंहू हैं.
सरकारी खरीद
जो बात एमएसपी को कारगार बनाती है वह है सरकारी खरीद. इसके बगैर न्यूनतम समर्थन मूल्य बेमानी हो जाती है .इसकी पुष्टि धान और गेहूं के मुकाबले बाजरे की खेती पर नजर डालने से हो जाती है. साल 2014-15 से 2023-24 के बीच धान पर एमएसपी सालाना औसतन 5.4 फीसदी और गेहूं 5.1 फीसदी की दर से बढी जबकि बाजरे पर 8 फीसदी की दर से बढी है.
खेती नहीं बढ़ी
ज्यादा एमएसपी के बावजूद बाजरे का रकबा 2011-12 और 2021-22 के बीच 24 फीसदी सिकुड़ गया , जबकि धान और गेहूं की खेती के इलाके में थोड़ी बढोतरी हुई. इससे साफ हो जाता है कि, किसान इस तथ्य को समझते हैं कि सिर्फ एमएसपी घोषित करने से उनको फायदा नहीं होने वाला है.असल बात यह है कि, उन्हें बाजार से सही मूल्य मिलना चाहिए.
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सरकार का नजरिया
सवाल यह भी है कि पिछले आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज किए गए मामले सहमति के बावजूद अभी तक वापस क्यों नहीं लिए गए. वही कई मामलो में उस दौरान जब्त किए गए ट्रैक्टर अभी तक नहीं लौटाए गए. किसानों की ये शिकायतें बिल्कुल जायज हैं, उन पर सही कदम उठाया जाना चाहिए और एमएसपी की अव्यावहारिकता उन्हें समझाई जानी चाहिए.