कोरोना काल में भारत में सोशल मीडिया झूठ बटोर रहे हैं. यह हम नहीं ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म की रिपोर्ट कह रही है. इसके मुताबिक भारत में फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कोरोना के इलाज को लेकर भ्रामक दावों की भरमार है. इनमें भी सबसे आगे फेसबुक है. ऐसे दावे हिन्दी भाषा में अधिक हैं.
फेसबुक, ट्विटर पर 2 महीने में ढेरों पोस्ट
रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल से मई महीने में फेक पोस्ट की भरमार लग गयी. 150 ऐसी पोस्ट सामने आईं, जिनमें कोरोना के इलाज के देसी तरीके बताए गए हैं और इन्हें 10 करोड़ से ज्यादा लोग देख चुके हैं. ऐसी पोस्ट को करोड़ों लोगों ने लाइक और शेयर कर रहे हैं. हद तो यह है कि बहुत से लोग कमेंट में भी गलत जानकारी दे रहे हैं. अगर ट्विटर की बात करें तो दो महीनों के दौरान कोरोना के इलाज को लेकर फैलाए जा रहे भ्रम वाले मैसेज उस पर भी है लेकिन उनकी संख्या कम है. ट्विटर पर दो महीनों के दौरान करीब 65 भ्रामक पोस्ट किए गए जिनकी पहुंच 35 लाख लोगों तक रही.
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फेसबुक, ट्विटर से नहीं हटायी जा रहीं भ्रामक पोस्ट
सोशल मीडिया पर पोस्ट किए जाने वाले भ्रामक मैसेज को डिलिट करने की व्यवस्था तो है लेकिन किया नहीं जा रहा है. सोशल मीडिया पर हिन्दी फैक्ट चेकर भी ठीक से काम नहीं करता है. फेसबुक जून के पहले सप्ताह तक इन भ्रामक पोस्ट का सात प्रतिशत भी अपने प्लेटफॉर्म से डिलीट नहीं कर पाया है. इन पर पर भ्रामक होने का लेबल भी नहीं लगाया गया है. अगर संख्या की बात करें तो अप्रैल-मई में 10 करोड़ लोगों को गलत जानकारी देने वाले इन 150 भ्रामक पोस्ट में से बमुश्किल 10 को हटाया गया या फिर उन पर झूठी जानकारी फैलाने का लेबल लगाया गया है. वहीं फेसबुक की तुलना में ट्विटर के अफवाह की पहुंच काफी कम है लेकिन यहां से भी उन्हें हटाया नहीं गया है.
डब्ल्यूएचओ दे रहा लगातार चेतावनी
नीम-हकीम खतरा ए जान, यह कहावत तो आपने सुनी होगी. ऐसे ही हकीमों से पटा हुआ है सोशल मीडिया इन दिनों. कोरोना से बचाव के ऐसे-ऐसे उपाय बताए जा रहे हैं कि उन्हें जानने वाला हैरान हो जाए. जबकि WHO लगातार चेतावनी जारी कर रहा है कि कोरोना से बचाव या इलाज के लिए किसी तरह का प्रयोग ना करें. डॉक्टर की सलाह से ही इलाज करें. ठीक से सांस न ले पाने वालों को दुरुस्त करने वाले वीडियो चल रहे हैं. कोई दावा करता है कि भाप लेने से कभी कोरोना नहीं होता. वहीं डिजिटल वर्ल्ड को जानने वालें की मानें तो पापुलर पोस्ट को न हटाने के पीछे मुनाफे का खेल होता है. गलत सूचनाओं पर लगाम लगाने के लिए काफी इंतजाम करने होते हैं जिनमें खर्च भी होता है.
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