शांति देवी: ऐसी महिला जिसके पुनर्जन्म को विज्ञान भी साबित नहीं कर सका, मानने पर मजबूर हुए गांधी जी, जानें पूरा किस्सा

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किसी भी इंसान का दुनिया में जन्म लेना और मृत्यु होना उसके हाथ में नहीं होता. जन्म और मृत्यु से जुड़ी कई कहानियां प्रचलित हैं जो ज्यादातर गांव-देहातों में सुनने को या फिर साक्षात देखने को मिल जाती हैं. इसी तरह की बेहद दिलचस्प घटना होती है पुनर्जन्म की. कई धर्मों और संस्कृतियों से के लोग पुनर्जन्म में विश्वास करते हैं. हालांकि, विज्ञान भी आज तक पुनर्जन्म को साबित नहीं कर पाया है. वैसे भारत में ही पुनर्जन्म से जुड़ी कई कहानियां प्रचलित हैं. जिसमें भगवान गौतम बुद्ध का नाम भी आता है. प्राचीन कथाओं में उनके पूर्व जन्मों से जुड़े बहुत से किस्से हैं. ऐसा ही पुनर्जन्म का एक किस्सा शांति देवी नाम की महिला से जुड़ा है. शांति ने महात्मा गांधी को विश्वास दिलाया था कि उसका पुनर्जन्म हुआ है. जिसको विज्ञान भी साबित नहीं कर पाया.

तो जानिए शांति देवी से जुड़े किस्से के बारे में…

Shanti Devi Reincarnation Mahatma Gandhi

कौन थीं शांति देवी…

शांति देवी का जन्म 11 दिसंबर, 1926 को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हुआ था. जन्म से 3 साल तक उनका व्यव्हार सामान्य बच्चे की तरह था. लेकिन, जब वो 4 साल की हुईं तो उन्होंने बोलना शुरू कर दिया था. 9 साल की उम्र में उन्होंने अपने माता-पिता से दुनियादारी की बातें न पूछकर अपने पिछले जन्म की बातें बताती थी. उन्होंने दिल्ली से करीब 75 मील दूर अपने असली घर, असली माता-पिता, असली परिवार और अपने पति के बारे में बात करती थी.

Shanti Devi Reincarnation Mahatma Gandhi

शांति देवी ने अपने माता-पिता से पिछले जन्म के पति का नाम बताया और कहा कि उनका असली नाम लुग्दी देवी था. हालांकि, किसी-किसी जगह पर उनका नाम लुगदी बाई भी मिलता है. शांति देवी ने बताया कि अक्टूबर, 1925 में उन्होंने एक बेटे को जन्म दिया और 10 दिन बाद ही उनकी मौत हो गई थी. शांति देवी ने गर्भावस्था, प्रसव पीड़ा और ऑपरेशन से जुड़ी जानकारियां भी दीं.

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मथुरा की क्षेत्रीय भाषा में करती थी बातें…

दूसरे बच्चों से अलग शांति देवी जब स्कूल जाने लगी तो वहां भी वो अपने पति के बारे में बातें करती और कहती कि उनका एक बच्चा है. उनका पति मथुरा में रहता है. स्कूल के अध्यापकों और सहपाठियों के मुताबिक, शांति देवी मथुरा की क्षेत्रीय भाषा में बातें किया करती थी. स्कूल में शांति देवी की ऐसी बातें सुनकर और उनकी हरकतें देखकर किसी को समझ नहीं आ रहा था कि इस बच्ची को क्या हुआ है? वो ऐसी बातें क्यों कर रही है?

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शुरू हुई पति की खोज…

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, शांति देवी के दूर के रिश्तेदार उनसे मिलने पहुंचे. उनका नाम बाबू बीचन चंद्र था और वो दिल्ली के दरियागंज में स्थित रामजस उच्च विद्यालय के प्रधानाध्यापक थे. बाबू बीचन चंद्र ने शांति देवी से इस बारे में बात की और उनको लालच देते हुए कहा कि अगर वो अपने पिछले जन्म के पति का नाम बता दें तो वो उसे मथुरा ले जाएंगे. इस दौरान शांति देवी ने अपने पति का नाम केदारनाथ चौबे बताया. साथ ही ये भी बताया कि वो दिखते कैसे थे.

Shanti Devi Reincarnation Mahatma Gandhi

शांति के कथनानुसार, उनके पति का रंग गोरा था, वो चश्मा लगाते थे और उनके बाएं गाल पर मस्सा था. शांति देवी की बातें सुनकर बीचन चंद्र ने केदारनाथ चौबे को पत्र लिखकर पूरी घटना का जिक्र किया. पत्र के जवाब में केदारनाथ ने लिखा कि शांति देवी जो भी कह रही हैं, वो सच है. इस दौरान बीचन चंद्र और शांति देवी दिल्ली में ही रह रहे केदारनाथ के भाई से मिले, जिनका नाम कांजिवन था. कांजिवन को पहचानते हुए शांति देवी ने कहा कि वो केदारनाथ के चचेरे भाई हैं.

Shanti Devi Reincarnation Mahatma Gandhi

शांति देवी ने केदारनाथ और बेटे को पहचाना…

इसके बाद एक ऐतिहासिक बैठक रखी गई. इस बैठक में केदारनाथ अपने बेटे और तीसरी पत्नी के साथ शांति देवी से मिलने पहुंचे. इस दौरान शांति देवी से केदारनाथ और उनके बेटे की मुलाकात अलग-अलग हुई. केदारनाथ ने झूठ बोलते हुए खुद को केदारनाथ का बड़ा भाई बताया. लेकिन, शांति देवी ने उन्हें और उनके बेटे नवनीत लाल को भी पहचान लिया. इसके बाद केदारनाथ ने शांति देवी से अकेले में बात की और दावा किया कि वो लुग्दी बाई ही हैं. केदारनाथ के मुताबिक, शांति ने कुछ ऐसी बातें बताईं जो लुग्दी बाई के अलावा कोई नहीं जानता था.

 

Shanti Devi Reincarnation Mahatma Gandhi

 

फिर कुछ दिन दिल्ली में रुकने के बाद केदारनाथ और उनका बेटा वापस मथुरा लौट गए. इस बात से शांति देवी दुखी हो गईं और कुछ दिन बाद वो अपने माता-पिता से मथुरा ले चलने की जिद करने लगीं. शांति ने दावे से कहा कि वो अपने पुराने घर का पता और उनका एक रुपये-पैसों से भरा डब्बा भी उस घर पर गड़ा है ये सब उनको बता सकती है.

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महात्मा गांधी ने दिए थे जांच के आदेश…

इतना सब होने के बाद शांति देवी का मामला चर्चा में था. ये केस देश के कई अख़बारों में छपा था. चारों तरफ सिर्फ शांति देवी (लुग्दी देवी) की ही बातें हो रही थीं. जब इस मामले ने महात्मा गांधी का ध्यान खींचा तो उन्होंने मामले की जांच के लिए एक आयोग का गठन किया और जांच के आदेश दिए. 15 नवंबर, 1935 को शांति देवी, उनके माता-पिता और कई रिसर्चर्स मथुरा के लिए निकल पड़े. मथुरा पहुंचने के बाद लोगों ने शांति देवी को एक अजनबी शख्स से मिलवाया. शांति ने उसके पैर छुए और बताया कि ये मेरे पति के बड़े भाई हैं.

Shanti Devi Reincarnation Mahatma Gandhi

अपने पुराने घर (ससुराल) पहुंचने के बाद शांति देवी ने 50 से अधिक लोगों की भीड़ में अपने ससुर को पहचान लिया. शांति ने ये भी बताया कि घर पर पैसा कहां पर छिपा है. लोगों ने एक गमला लाकर रखा, लेकिन उसमें गड़े पैसे नहीं मिले. इसको लेकर शांति देवी जिद पर अड़ गई कि पैसे वहीं थे. फिर केदारनाथ ने बताया कि उन्होंने पैसे निकाल लिए थे. उस समय लोगों के लिए ये एक धार्मिक चमत्कार था.

61 वर्ष की आयु में निधन…

बता दें शांति देवी ने अविवाहित रहते हुए एक शांत और आध्यात्मिक जीवन व्यतीत किया. वर्ष 1987 में शांति देवी का निधन हो गया, उस दौरान उनकी उम्र 61 वर्ष की थी.

 

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हालांकि, उनकी कहानी वर्ष 1994 में स्वीडिश लेखक स्टीयर लोनरस्ट्रैंड द्वारा लिखी गई एक पुस्तक के सौजन्य से जीवित है. जिसका अंग्रेजी में अनुवाद वर्ष 1998 में किया गया था. हालांकि, इस मामले के बाद में कमिशन ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि शांति देवी ही लुग्दी देवी और लुग्दी बाई है. उसके लिए कोई तर्कसंगत स्पष्टीकरण नहीं पाया.

 

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