क्या खासियत है जोशीमठ की जो इसे बचाया जाना बहुत जरुरी है, जानें इसकी कहानी

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इन दिनों उत्तराखंड के जोशीमठ में भू-धंसाव या भूस्खलन का संकट जारी है. जिससे वहां का जीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है. इन सबके बीच सरकार द्वारा राहत व बचाव कार्य चल रहा है. मगर, सवाल ये है कि क्या खासियत है जोशीमठ की जो इसे बचाया जाना बहुत जरुरी है? तो आइये आपको बताते हैं जोशीमठ से जुड़ी प्राचीन कहानी के बारे में और अवगत कराते हैं वर्तमान के हालातों से…

जोशीमठ की खासियत…

उत्तराखंड का जोशीमठ जिला, जिसे ज्योतिर्मठ नाम से भी जाना जाता है. जोशीमठ आदि शंकराचार्य द्वारा बसाये गए 4 ज्योतिषमठों में से एक है. कहा जाता है कि इसी स्थान पर आदि शंकराचार्य को ज्ञान प्राप्त हुआ था और यहीं पर कल्प वृक्ष के पास उन्होंने अपना सबसे पहले मठ की स्थापना की थी.

Joshimath Crisis

 

सर्दियों के समय शहर के इसी स्थान में बद्रीनाथ जी की गद्दी विराजित होती है जहां नरसिंह भगवान के प्राचीन एवं सुंदर मंदिर उनकी पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि प्रारंभ में जोशीमठ का क्षेत्र समुद्र में था, और जब यहां पहाड़ उदित हुए तो भगवान विष्णु के अवतार नरसिंह भगवान यहां आये. नरसिंह भगवान ने यहां आकर तप किया. यहां तप करने के बाद उनका क्रोध शांत हुआ और उन्हें शांति की प्राप्ति हुई.

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यहां स्थापित प्राचीन नरसिंह मंदिर में लोग दर्शन के लिए आते हैं और यहां साल भर लोगों का आना जाना लगा रहता है. अपने धार्मिक स्थलों और सुंदर दृश्यों जानी जाने वाली यह जगह किसी स्वर्ग से कम नहीं है.

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खतरे में जोशीमठ…

वर्तमान समय में जोशीमठ खतरे में है. भूस्खलन की वजह से ये जगह नष्ट हो रही है. 600 से भी ज्यादा घरों में दरार आ चुकी है और वो टूटने वाले हैं. जिसके कारण वहां के लोगों को अपने-अपने घरों को छोड़कर जाना पड़ रहा है.

लगातार हो रहे भूस्खलन की वजह से अब जोशीमठ-औली रोपवे खतरे की जद में आ गया है, जबकि इससे कुछ ही मीटर दूर स्थित दो अन्य बडे़ होटलों के भी एक दूसरे की ओर झुकने की रफ्तार तेज हो गयी है. इसके अलावा, भूस्खलन के कारण ऊपरी हिस्से में एक दूसरे से खतरनाक रूप से जुड़ गए होटलों ‘मलारी इन’ और ‘होटल माउंट व्यू’ के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई जारी है.

 

Joshimath Crisis

 

जोशीमठ पर गहराते संकट के बीच भारतीय सेना के जवान आपदा से निपटने और सरहद पर निगरानी की दोहरी चुनौती से निपटने की तैयारी में जुट गई है. ऐसे में जोशीमठ के पास औली में राहत और बचाव ऑपरेशन की तैयारी शुरू कर दी है. इसके लिए कंट्रोल रूम से लेकर सारे संसाधन तैयार रखे गए हैं.

Joshimath Crisis

 

जानकारी के मुताबिक, जोशीमठ में भू-धंसाव से 800 से ज्यादा बिल्डिंग प्रभावित हुईं, जिनमें दरारें मिली है. इसमें से 148 भवन ऐसे हैं जिनको डेंजर जोन के अंतर्गत रखा गया है. सुरक्षा की नजर से जिला प्रशासन द्वारा अबतक 223 परिवारों के 754 व्यक्तियों को विभिन्न सुरक्षित स्थानों पर अस्थायी रूप से विस्थापित किया गया है.

 

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