उत्तराखंड: इस अद्भुत शिव मंदिर में पूजा करने से हो जाता है लड़की का विवाह! मां गौरी से जुड़ी है ऐसी मान्यता

Bilvkeshwar Mahadev Temple Uttarakhand Haridwar
Bilvkeshwar Mahadev Temple Uttarakhand Haridwar

भारत एक धर्म प्रधान देश है और यह एक प्रमुख वजह है कि हमारी संस्कृति सदियों से इस मजबूत डोर में बंधी होने के वजह से अखंड रही हैं. संपूर्ण विश्व में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जहां हर कदम पर आस्था और धर्म के विभिन्न स्वरूपों के आसानी से दर्शन हो जाते हैं. यहां हर चीजें भगवान के एक आदेश या संकेत के तौर पर देखी और समझी जाती हैं. भारत के हर राज्य के हर शहर के कोने-कोने में कोई न कोई अद्भुत मंदिर मौजूद है. ऐसा ही एक मंदिर देवभूमि उत्तराखंड में मौजूद है.

Bilvkeshwar Mahadev Temple Uttarakhand Haridwar

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देवभूमि उत्तराखंड के हरिद्वार में एक ऐसा अद्भुत शिव मंदिर है, जिसकी बहुत सी प्राचीन कहानियां हैं. वहीं, इस मंदिर से जुड़ी एक कहानी ऐसी भी है कि यदि किसी लड़की का विवाह नहीं हो रहा है तो इस मंदिर में पूजा करने से उसकी शादी हो जाती है. दरअसल, ये प्राचीन मंदिर बिल्वकेश्वर महादेव भगवान का है और यहां स्वयंभू शिवलिंग स्थापित है. दूर-दराज से श्रद्धालु पूजा अर्चना के लिए इस मंदिर में आते हैं. बिल्वकेश्वर महादेव मंदिर से बहुत सी प्राचीन कहानियां जुड़ी हैं. इस मंदिर में कई चीजें ऐसी हैं, जो प्राचीन हैं और देखने योग्य हैं.

Bilvkeshwar Mahadev Temple Uttarakhand Haridwar

मान्यताओं के अनुसार, इस स्थान की कहानी मां गौरी और भगवान शिव से जुड़ी हुई है. इस मंदिर में स्थित प्राचीन पेड़ के नीचे बैठकर मां गौरी ने भगवान शिव को पति परमेश्वर के रूप में पाने के लिए 3 हजार वर्षों तक कठोर तपस्या की थी.

Bilvkeshwar Mahadev Temple Uttarakhand Haridwar

मंदिर के पुजारी अनिल पुरी के मुताबिक,

‘मां गौरी ने भगवान शिव से विवाह करने के लिए बिल्वकेश्वर महादेव मंदिर में तपस्या की थी. जिस लड़की का विवाह नहीं हो रहा है तो वो अगर बिल्वकेश्वर मंदिर में 5 रविवार पूजा करें तो उसका विवाह हो जाता है.’

वहीं, बिल्वकेश्वर महादेव मंदिर में इसी पेड़ के पास प्राचीन स्वयंभू शिवलिंग स्थापित है. प्राचीन शिवलिंग की पूजा करने का विशेष महत्व है. ऐसी मान्यता है कि स्वयंभू शिवलिंग की पूजा करने से सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं. साथ ही, इस मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग पर गंगाजल, फूल और बेलपत्र चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और बिना मांगे ही श्रद्धालु की हर मनोकामना पूरी कर देते हैं.

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इस प्राचीन स्थान का वर्णन कई धार्मिक ग्रंथों में भी है. यहां पर ज्यादातर श्रद्धालु हिमाचल प्रदेश से आते हैं.

 

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