18 साल बाद भी 18 मासूमों को नहीं मिला इंसाफ, निठारी कांड में रिहा हुए कोली और पंढेर..

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देश – दुनिया को झकझोर कर रख देने वाला निठारी कांड में सीबीआई कोर्ट से फांसी की सजा प्राप्त आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली पर फैसला सुनाते हुए दोषमुक्त कर रिहाई दे दी। बीते मंगलवार को इलाहाबाद कोर्ट द्वारा सुनाए गए इस फैसले नें 18 साल से न्याय की उम्मीद लगाए बैठे 18 मासूमों और एक महिला के परिवार को तोड़ दिया है। आपको बता दें कि, इसके साथ ही दोनों को मिली फांसी की सजा को रद्द कर दिया गया है।

जबकि इस मामले मेें जारी पड़ताल के दौरान सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर ने पुलिस के सामने दिए गए कबूलनामें में अपना आरोप कबूला था। जिसके बाद ट्रायल कोर्ट ने इस मामले पर अपना फैसला सुनाते हुए आरोपी  सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर आरोपी करार देने के साथ ही कोर्ट ने आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी।

जिसके बाद इलाहाबाद कोर्ट में दायर की गयी याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद कोर्ट ने इस मामले में सबूतों के अभाव का हवाला देते हुए आरोपियों को रिहा कर दिया। इसके साथ ही दोनों की फांसी की सजा को भी रद्द कर दिया है।  ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि, अगर ये बेगुनाह है तो गुनहगार कौन है….मासूमों की हत्या किसने की… बेरहमी से शवों के टुकड़े किसने किए… दुष्कर्म जैसे घिनौना कृत्य किसने किया… नरभक्षी कौन थे?

‘सबूत जुटाने की मौलिक प्रक्रिया का हुआ उल्लंघन’ – इलाहाबाद कोर्ट

इस मामले पर सजा सुनाते हुए को कोर्ट ने कहा है कि,  ‘पुलिस दोनों के खिलाफ आरोपी साबित करने में विफल रही। न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति एसएएच रिजवी की खंडपीठ ने जांच पर नाखुशी जताते हुए कहा, जांच बेहद खराब थी सबूत जुटाने की मौलिक प्रक्रिया का पूरी तरह उल्लंघन किया गया। जांच एजेंसियों की नाकामी जनता के विश्वास से धोखाधड़ी है।’

इसके आगे बोलते हुए कोर्ट ने कहा है कि, ‘जांच एजेंसियों ने अंग व्यापार के गंभीर पहलुओं की जांच किए बिना एक गरीब नौकर को खलनायक की तरह पेश कर उसे फंसाने का आसान तरीका चुना। ऐसी गंभीर चूक के कारण मिलीभगत सहित कई तरह के निष्कर्ष संभव हैं।

आरोपी अपीलकर्ताओं की निचली अदालत से स्पष्ट रूप से निष्पक्ष सुनवाई का मौका नहीं मिला। सीबीआई की विशेष अदालत ने 13 फरवरी 2009 को दोनों को दुष्कर्म और हत्या का दोषी मानकर फांसी की सजा सुनाई थी। पंढेर और कोली पर 18 मासूमों और एक महिला से दुष्कर्म व हत्या का आरोप था। इस मामले अदालत में पहला केस 8 फरवरी, 2005 को दर्ज किया गया था।’

कोर्ट के फैसले पर निराश हुए पीड़ित परिवार

18 साल बाद निठारी कांड में आए इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले ने पीडित परिवारों ने निराशा की लहर दौड़ गयी है। इसके अलावा निठारी कांड में मृतक बच्ची की मां ने कोर्ट के फैसले पर बोलते हुए कहा है कि,’ इन दोनों को माफ न किया जाए. दोनों को फांसी की सजा दी जाए.

मृतक बच्ची की मां ने कहा, उन दोनों ने जैसे हमारी बेटी को मारा था, वैसे ही उन दोनों को भी मारा जाए. जैसे इन दोनों ने हमारी छोटी बेटी को तड़पा-तड़पा कर मारा था, ऐसे ही इन्हें भी तड़पा-तड़पा कर मारा जाए. हम मोदी-योगी सरकार से गुहार लगाते हैं कि इन दोनों को फांसी जरूर दें, इन्हें माफ नहीं किया जाए’

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क्या था निठारी कांड?

साल 2006 में निठारी में रहने वाला युवती को पंधेर ने नौकरी दिलाने के बहाने से बुलाया था, इसके बाद युवती वापस अपने घऱ नहीं लौटी। जिसके बाद परिवार को किसी अनहोनी के होने की आशंका हुई , जिसके बाद लापता बेटी की सूचना पिता नें नोएडा के सेक्टर-20 थाने में दी। जिसके साथ ही शुरू हुई लापता लड़की की तलाश, 29 दिसंबर 2006 को युवती की तलाश कर रही पुलिस को कुछ ऐसा बरामद हुआ , जिसने देश ही नहीं दुनिया को भी हिलाकर रख दिया।

तलाश के दौरान पुलिस को निठारी में मोनिंदर सिंह पंढेर की कोठी के पीछे नाले में पुलिस को 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले थे। इसके बाद पुलिस नें मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली गिरफ्तार कर लिया । जिसके बाद यह मामला सीबीआई को सौंपा गया, युवती के अपहरण, दुष्कर्म व हत्या के मामले में सीबीआई ने सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी।

 

 

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