समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों की नहीं होगी मौत, इस युवक ने बनाया ऐसा एप

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दुनिया में इस बदलते दौर के साथ ही बहुत कुछ बदल चुका है। साथ ही समाज बदलाव की ओर प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। आये दिन नए-नए अविष्कारों से  देश का विकास हो  रहा है। टेक्नालॉजी के इस बदलते दौर में अब लोग किसी भी कार्य को करने के लिए शारीरिक मेहनत की जगह मशीनों पर निर्भर हो गए हैं। मशीनीकरण के इस दौर से जहां एक तरफ देश को विकास करने में गति मिल रही है, वहीं समय की बचत के साथ ही देश तेजी से विकास कर रहा है।

बता दें कि नित नई-नई खोजों के साथ ही रुड़की के एक युवक ने ऐसा एप तैयार किया है जिससे प्री मेच्योर बेबी को जन्म देने वाली मांओं के लिए आसानी हो सकेगी। प्री मेच्योर बेबी के लिए ऐप के जरिए अस्पताल के नियोनेटल इंटेनसिव केयर यूनिट (एनआइसीयू) में बच्चे को अपनी ही मां का दूध मिल सकेगा। इस ऐप का नाम ‘मॉम एंड नर्स’ है। इसके जरिए दूध की बोतल बदलने की आशंका कम होगी।

अमेरिकी कंपनी कैरीटोन ने ब्रेस्ट मिल्क मैनेजमेंट स्टार्टअप के लिए उन्हें करीब सात करोड़ रुपये का पैकेज दिया है। सितंबर में यूनिवर्सिटी में पैन ऐप प्रतियोगिता हुई। जिसमे उन्होंने ये ऐप तैयार किया। जिससे पार्किंसन बीमारी के बारे आसानी से पता लगाया जा सकता था। प्रतियोगिता में ऐप को द्वितीय पुरस्कार मिला।

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उन्होंने बताया कि इससे उन्हें प्रोत्साहन मिला। तब उन्होंने कुछ नया करने की ठानी।विदुर ने बताया कि उनके भांजे का का जन्म प्री-मैच्योर हुआ था। तब उन्होंने देखा था कि एनआइसीयू में भर्ती भांजे को दूध पिलाने के लिए उनकी बहन को दिन में कई बार जाना पड़ता था। ये देखकर मैं इसी पर कुछ काम करने की सोचने लगा।

उसके बाद मैंने अमेरिका में प्री-मैच्योर बेबी के बारे में जानकारी जुटानी शुरू की, तो पता चला कि यहां हर साल करीब पांच लाख बच्चे समय से पहले जन्म लेते हैं, जिन्हें एनआइसीयू में रखा जाता है। ऐसे बच्चों के लिए मां का दूध जरूरी है। इसलिए नर्सों को दिन में कई बार बोतल से इन्हें दूध पिलाना होता है।

इसके लिए मां के दूध को पंप कर बोतल में भरने के बाद अस्पताल के फ्रीजर में रख दिया जाता है। जिसमें कई बार बोतल बदल जाती हैं। किसी और मां के दूध से बच्चे के बीमार होने की आशंका भी बनी रहती है। इसलिए इस ऐप के जरिए बच्चे को अपनी ही मां का दूध आसानी से मिल सकेगा।

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इसमें जिस बोतल में दूध होगा। उस पर बार कोड लगाकर उसे ऐप से स्कैन किया जाता है। विदुर के अनुसार उनका ऐप अमेरिकी कंपनी कैरीटोन को काफी पसंद आया। अब वह विश्वविद्यालय से एक साल का अवकाश लेकर कंपनी के साथ ऐप पर कुछ और काम करेंगे। वह डोनर मिल्क और मिल्क बैंक ऐप भी बनाएंगे।

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