पद्मश्री साहित्यकार मनु शर्मा का निधन
प्रख्यात साहित्यकार मनु शर्मा का बुधवार की सुबह वाराणसी के बड़ी पियरी स्थित उनके निवास पर निधन हो गया। वे 90 वर्ष के थे।पद्मश्री से सम्मानित मनु शर्मा के निधन की सूचना से काशी के साहित्यकार जगत में शोक व्याप्त है। उन्हें यूपी सरकार ने यश भारती से सम्मानित किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें सफाई अभियान का नवरत्न भी चुना था। साहित्यकार मनु शर्मा का जन्म 1928 में फैजाबाद जिले में हुआ था। वह काफी दिनों से बीमार चल रहे थे।
ग्लैक्सी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था
पिछले महीने शरद पूर्णिमा के दिन उन्होंने 90वां जन्मदिन मनाया था। उसी दिन उनकी तबियत खराब होने की वजह से महमूरगंज स्थित ग्लैक्सी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। हालत में सुधार होने पर दो दिन बाद घर लाया गया था। उसके बाद से उन्होंने खाना-पीना छोड़ दिया था। भतीजे तुषार शर्मा ने बताया कि सुबह अचानक तबियत बिगड़ी।
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साहित्य की हर विधा में लिखा है
जब तक अस्पताल ले जाने का प्रबंध किया जाता, उन्होंने अंतिम सांस ली। आधुनिक हिन्दी साहित्य के पुरोधा मनु शर्मा हिंदी की खेमेबंदी से दूर रहे। उन्होंने साहित्य की हर विधा में लिखा है। बेहद अभावों में पले-बढ़े मनु शर्मा ने कभी बनारस के डीएवी कॉलेज में आदेशपालक की नौकरी की। उनके गुरु रहे कृष्णदेव प्रसाद गौड़ उर्फ ‘बेढ़ब बनारसी’ ने उनसे पुस्तकालय में काम लिया। पुस्तकालय में पुस्तक उठाते-उठाते उनमें पढ़ने की ऐसी रुचि जगी।
कृष्ण की आत्मकथा’ एक कालजयी कृति है
उन्होंने अपनी कलम से पौराणिक उपन्यासों को आधुनिक संदर्भ दिया है।मनु शर्मा ने बनारस से निकलने वाले ‘जनवार्ता’ में प्रतिदिन एक ‘कार्टून कविता’ लिखी। यह इतनी मारक होती थी कि आपात काल के दौरान इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। मनु शर्मा ने अपनी ‘कार्टून कविता’ के जरिए हर घर-हर दिल पर उस दौरान दस्तक दी। राजकुमार हिरानी ने मनु शर्मा की पुस्तक ‘गांधी लौटे’ के विचार की चोरी कर इस पर फिल्म का निर्माण किया था।भारतीय भाषाओं में उनकी कृति ‘कृष्ण की आत्मकथा’ है। 8 खंडों और 3000 पृष्ठ वाले ‘कृष्ण की आत्मकथा’ एक कालजयी कृति है।
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कलम से पौराणिक उपन्यासों को आधुनिक संदर्भ दिया है
मनु शर्मा का जन्म 1928 में अकबरपुर, फैजाबाद में हुआ था। वे बेहद अभावों में पले-बढ़े। घर चलाने के लिए फेरी लगाकर कपड़ा और मूंगफली तक बेचा। बनारस के डीएवी कॉलेज में उन्हें चपरासी की नौकरी मिली, लेकिन उनके गुरु कृष्णदेव प्रसाद गौड़ उर्फ ‘बेढ़ब बनारसी’ ने उनसे पुस्तकालय में काम लिया। पुस्तकालय में पुस्तक उठाते-उठाते उनमें पढ़ने की ऐसी रुचि जगी कि पूरा पुस्तकालय ही चाट गए। उन्होंने अपनी कलम से पौराणिक उपन्यासों को आधुनिक संदर्भ दिया है।
घर-हर दिल पर उस दौरान दस्तक दी थी
70 के दशक में मनु शर्मा बनारस से निकलने वाले ‘जनवार्ता’ में प्रतिदिन एक ‘कार्टून कविता’ लिखते थे। यह इतनी मारक होती थी कि आपात काल के दौरान इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। जयप्रकाश नारायण कहा करते थे- “यदि संपूर्ण क्रांति को ठीक ढंग से समझना हो तो ‘जनवार्ता’ अखबार पढ़ा करो।” मनु शर्मा ने अपनी ‘कार्टून कविता’ के जरिए हर घर-हर दिल पर उस दौरान दस्तक दी थी।
राजकीय सम्मान के साथ होगी अन्त्येष्टि
बनारस के जिलाधिकारी योगेश्वर राम मिश्र ने बताया कि पद्मश्री प्रख्यात साहित्यकार मनु शर्मा की राजकीय सम्मान के साथ गुरुवार को अन्त्येष्टि होगी। जिलाधिकारी ने बुधवार को उनके आवास पर जाकर श्रद्धांजलि दी। अन्त्येष्टि गुरुवार को होगी। अन्तिम यात्रा गुरुवार को प्रातः उनके आवास से निकलेगी।