ट्रिपल तलाक पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की लखनऊ में आपात बैठक

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ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की आज आपात बैठक लखनऊ में है। जिसमें हिस्सा लेने के लिए सांसद असुद्दीन ओवैसी और जफरयाब जिलानी पहुंच गए हैं। ये बैठक संसद में पेश होने वाले जा रहे ट्रिपल तलाक के बिल को लेकर है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य असुद्दीन ओवैसी सहित कई लोग इसके खिलाफ आवाज उठा चुके हैं। जानकारी के अनुसार माना जा रहा है कि कानून मंत्री इस बिल को लोकसभा में संसद में इसी हफ्ते पेश कर देंगे। पहले इस बिल को 22 दिसंबर के दिन पेश होना था।

डिप्टी सीएम केशव मौर्या का बयान

ट्रिपल तलाक पर केशव मौर्या का बयान मुस्लिम महिलाओं पर अन्याय की लड़ाई है मौर्या बीजेपी मुस्लिम महिलाओं के साथ है और केशव मौर्या किसी भी धर्म,जाति से इसको न जोड़े। केशव मौर्या मुस्लिम महिलाओं पर अन्याय बर्दाश्त नहीं करेगें

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बोर्ड ने इसे महिला विरोधी बिल बताया

बोर्ड ने कहा है कि यह शरीयत के खिलाफ है। हर स्तर पर केंद्र सरकार के इस प्रस्तावित बिल का विरोध होगा। आपात बैठक के बाद मुस्लिम संगठन ने कहा कि केंद्र को बिल बनाने से पहले बात करके हमारी राय लेनी चाहिए थी। बोर्ड ने इस बिल में तीन साल की सजा के मसौदे को क्रिमिनल ऐक्ट बताते हुए कहा कि यह महिला विरोधी बिल है। बोर्ड ने कहा कि यह बिल महिला आजादी में दखल की तरह है।

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ये है मौलाना की राय
मौलाना नदीम उल वाजदी की मानें तो सरकार जानबूझकर ऐसा कर रही है। हर छोटे बड़े बिल पर सरकार राय लेती है लेकिन इतने बड़े मुद्दे पर सरकार ने राय लेना उचित नहीं समझा। सरकार को इस मुद्दे पर राय लेनी चाहिए। तीन तलाक के मुद्दे पर सरकार समाज को बांटने का काम कर रही है। कई मुस्लिम पदाधिकारियों का कहना है कि जब इस्लाम में तीन तलाक को खुद गलत बताया गया है तो ऐसे में सरकार को बिल लाने की क्या आवश्‍यकता है।जानकारी के मुताबिक नये मसविदा कानून के अनुसार एक साथ तीन तलाक कहना अवैध माना जाएगा और ऐसा करने पर पति को तीन साल की कैद होगी। यह गैर जमानती और संज्ञेय अपराध होगा।

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पर्सनल लॉ के मामले में दखलंदाजी बंद करे: मुस्लिम लॉ बोर्ड

इस बिल का कई संगठन भी विरोध कर रहे हैं। महिला अधिकारों के पक्षधरों ने आज कहा कि सरकार की मंशा एक साथ तीन तलाक देने को अपराध घोषित कर मुसलमानों के मन में ‘भय पैदा’ करना है। सुप्रीम कोर्ट में सायरा बानो की तीन तलाक अर्जी के पक्ष में दखल देने वाले बेबाक कलेक्टिव नामक संगठन द्वारा आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कार्यकर्ताओं और वकीलों ने सवाल किया कि सरकार सभ्य समाज और संबंधित पक्षों से परामर्श किये बगैर विधेयक क्यों ला रही है।

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 बोर्ड पीएम मोदी से विधेयक को वापस लेने का करेगे आग्रह

मौलाना नोमानी ने कहा कि जिस तलाक को उच्चतम न्यायालय ने अवैध बताया था, उसे केंद्र सरकार ने आपराधिक प्रक्रिया में उलझा दिया है। सवाल यह है कि जब तीन तलाक होगा ही नहीं तो सजा किसे दी जाएगी। मौलाना नोमानी ने कहा कि बोर्ड की केंद्र सरकार से गुजारिश है कि वह अभी इस विधेयक को संसद में पेश न करे। अगर सरकार को यह बहुत जरूरी लगता है तो वह उससे पहले मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड तथा मुस्लिम महिला संगठनों से बात कर ले। उन्होंने बताया कि बोर्ड की बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसनी नदवी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक बोर्ड की भावनाओं को पहुंचाएंगे और तीन तलाक संबंधी विधेयक को वापस लेने का आग्रह करेंगे। नोमानी ने कहा कि यह महसूस किया गया है कि तीन तलाक रोकने के नाम पर बने मसौदे में ऐसे प्रावधान रखे गए हैं जिन्हें देखकर यह साफ लगता है कि सरकार शौहरों (पति) से तलाक के अधिकार को छीनना चाहती है। यह एक बड़ी साजिश है।

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मुस्लिम महिलाओं के हितों की पूरी तरह अनदेखी की गई
उन्होंने कहा कि विधेयक के मसौदे में यह भी कहा गया है कि तीन तलाक यानी तलाक- ए-बिद्दत के अलावा तलाक की अन्य शक्लों पर भी प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। बोर्ड की वरिष्ठ महिला सदस्य अस्मा जहरा ने इस मौके पर कहा कि केंद्र सरकार के प्रस्तावित विधेयक के मसौदे में मुस्लिम महिलाओं के हितों की पूरी तरह अनदेखी की गई है।  उन्होंने कहा कि जैसा कि विधेयक के मसौदे में लिखा है कि तलाक देने वाले शौहर को तीन साल के लिए जेल में डाल दिया जाएगा। ऐसे में सवाल यह है कि जिस महिला को तलाक दिया गया है, उसका गुजारा कैसे होगा और उसके बच्चों की परवरिश कैसे होगी।

साभार: (NDTV इंडिया )

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