राजस्थान उपचुनाव: वसुंधरा राजे के लिए ‘अग्निपरीक्षा की घड़ी’

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राजस्थान में उपचुनाव के नतीजे मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के लिए किसी अग्निपरीक्षा की तरह हैं। राजस्थान में सोमवार को दो लोकसभा सीटों के लिए चुनाव हुए थे, जिसके नतीजे गुरुवार दोपहर तक साफ हो जाएंगे। वसुंधरा राजे के अलावा इस उपचुनाव के नतीजों को लेकर राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमिटी (RPCC) के अध्यक्ष सचिन पायलट की साख भी दांव पर है। कहा जा रहा है कि इस बार की ये लड़ाई सचिन पायलट और अशोक गहलोत का राजनीतिक भविष्य भी तय कर सकती है।

कांग्रेस की दावेदारी

राजस्थान की दोनों सीटों के लिए सटोरिए कांग्रेस की जीत पर दांव लगा रहे हैं। कांग्रेस को भी अजमेर और अलवर में जीत की उम्मीद है। राजस्थान कांग्रेस के उपाध्यक्ष गोपाल सिंह शेखावत कहते हैं, “हमें सिर्फ अलवर और अजमेर में जीत की उम्मीद नहीं, बल्कि मांडलगढ़ विधानसभा भी हम जीत रहे हैं। ये उपचुनाव हमारे लिए किसी सेमीफाइनल की तरह है और हमें पूरी उम्मीद है हम जीत रहे हैं’।
जब शेखावत से ये पूछा गया कि क्या ये चुनाव सचिन पायलट के लिए साख की लड़ाई है, तो उन्होंने कहा ” इस उपचुनाव के लिए सचिन पायलट ने जमकर मेहनत की है।

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उन्होंने पार्टी वर्कर का लगातार हौसला बढ़ाया है। पार्टी के वर्कर लोकसभा की दोनों सीटों पर गांव-गांव तक पहुंचे हैं’’। कांग्रेस के एक सीनियर नेता के मुताबिक सचिन पायलट ने पिछले कुछ महीनों से अजमेर और अलवर में जातीय समीकरण पर काम किया है। उन्होंने कहा,इस नेता ने ये भी कहा कि सिर्फ फिल्म पद्मावत का मुद्दा ही नहीं, बल्कि पूरे राज्य में राजपूतों को लग रहा है कि बीजेपी ने उन्हें नजरअंदाज किया है। वह कहते हैं, “हमें उम्मीद है कि राजपूत और गुर्जर दोनों हमें जीत दिलाएंगे’। अगर कांग्रेस को इस बार जीत मिलती है तो इसका पूरा श्रेय सचिन पायलट को जाएगा, लेकिन अगर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ता है तो फिर सचिन पायलट के खिलाफ तलवारें खिंच जाएगी।

गहलोत की दावेदारी

सूत्रों के मूताबिक पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का खेमा चाह रहा है कि आने वाले विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट किया जाए। उप चुनाव में हार गहलोत के खेमे को मजबूत कर देगा और अगर ऐसा हुआ तो फिर ये लोग राहुल गांधी से मिल सकते हैं। यानी सचिन पायलट के राह आसान नहीं है। कांग्रेस के एक और नेता का कहना है “ सचिन पायलट एक युवा नेता हैं लेकिन अशोक गहलोत की तरह उनके पास समर्थकों की लंबी-चौड़ी फौज नहीं है।”

news18

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