टीम से हटाने की मांग करने वालों को धोनी का जवाब
गाहे-बगाहे महेंद्र सिंह धोनी को टीम से हटाने की मांग उठती रहती है। ऐसी ही कुछ मांग सचिन तेंदुलकर के लिए भी उठती थी लेकिन लीजेंड को पता होता है कि उन्हें कब खेलना है और कब संन्यास लेना है। सचिन को भी यह पता था और धौनी को भी यह पता है। यही कारण है कि धौनी ने ऑस्ट्रेलिया दौरे के बीचो-बीच बिना किसी के कहे 2014 के आखिर में टेस्ट से संन्यास ले लिया था।
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उन्हें उस समय लगा कि विराट टीम इंडिया की कमान संभालने के लिए मुफीद हैं तो उन्होंने ऐसा किया। धौनी को उस समय अहसास हो गया था कि वह अब पांच दिन का मैच खेलने के लिए फिट नहीं है और उन्हें अपना फोकस वनडे और टी-20 जैसे छोटे फॉर्मेट में खेलने के लिए रखना चाहिए।
धोनी को टी-20 में उनकी भूमिका के बारे में बताए
फिलहाल उनका लक्ष्य 2019 में इंग्लैंड में होने वाले विश्व कप पर है और वह उसी को लेकर अपने करियर को आगे बढ़ रहे हैं। वीवीएस लक्ष्मण ने हाल ही में कहा है कि धौनी को वनडे में बने रहना चाहिए लेकिन टी-20 फॉर्मेट उनके मुफीद नहीं है। वीरेंद्र सहवाग ने भी कहा था कि टीम प्रबंधन धौनी को टी-20 में उनकी भूमिका के बारे में बताए।
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न्यूजीलैंड के खिलाफ दूसरे टी-20 में धौनी ने 37 गेंद में 49 रन बनाए थे और विशेषज्ञों ने कहा था कि भारत की हार की एक वजह यह भी रही कि उन्होंने काफी गेंदें खराब कीं। लक्ष्मण ने कहा कि किसी युवा को टी-20 में जगह देनी चाहिए। हालांकि उनके कप्तान विराट कोहली ने अपने खिलाड़ी का जबरदस्त बचाव किया है। विराट के तर्को में भी दम हैं। अगर धौनी को हटाया भी जाता है तो उनकी जगह कौन लेगा? ऋषभ पंत या दिनेश कार्तिक?
पंत पर विराट का विश्वास नहीं है
समस्या यह है कि पंत पर विराट का विश्वास नहीं है जबकि दिनेश लगातार एक जैसा प्रदर्शन करने में सक्षम नहीं रहे हैं। यही नहीं 36 साल से ज्यादा के होने के बावजूद धौनी इन दोनों से ज्यादा फिट हैं और हर मैच में किसी न किसी तरह सहयोग करते हैं। खास बात यह है कि वह चौथे से लेकर सातवें क्रम तक उतर सकते हैं। उससे बड़ी बात यह है कि उनके रहने से विराट को बहुत मदद मिलती है।
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विराट को ऐसा सहयोग देने वाला कोई नहीं है
कठिन समय में वह खुद फील्डिंग लगाकर, गेंदबाज बदलकर विराट का काम आसान कर देते हैं। कई बार देखा गया है कि वह खुद ही कप्तान की भूमिका में आ जाता हैं। यह धोनी की उपस्थिति ही है जिसके कारण भारत द्वारा वनडे और टी-20 में लिए गए डीआरएस के फैसले टेस्ट की अपेक्षा ज्यादा सफल रहे हैं क्योंकि इसमें विकेटकीपर की भूमिका अहम होती है। टेस्ट में विराट को ऐसा सहयोग देने वाला कोई नहीं है।
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