आज के दिन क्रैश हुआ था नेताजी का प्लेन

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तारीखें तो रोज बदलती है लेकिन कुछ तारीखे इतिहास बन जाती है, ऐसी ही एक तारीख 18 अगस्त 1945 यानी आज के दिन ही नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का प्लेन कैश हुआ था। हालांकि इसमें उनकी मौत हुई या नहीं इस बात पर अभी भी विवाद है।

हम उस विवाद में नहीं जाना चाहते। लेकिन हम यहां आपको बताएंगे नेताजी की जिंदगी से जुड़ी कुछ बातें-

कलकत्ता का मेयर बनाया गया

23 जनवरी 1897 को कटक में पैदा हुए बोस ने कलकत्ता यूनीवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद वे इंडियन सिविल सर्विसेज की परीक्षा देने इंग्लैंड चले गए। उन्होंने परीक्षा पास भी की। लेकिन बाद में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए। 1923 में वे ऑल इंडिया यूथ कांग्रेस के प्रेसीडेंट भी बने। 1925 में उन्हें मांडले जेल भेज दिया, जहां से वे 1927 में वापस लौटे। एक बार फिर उन्हें सविनय अवज्ञा में गिरफ्तार कर लिया गया। जब वे जेल से वापस आए, तो 1930 में उन्हें कलकत्ता का मेयर बनाया गया।

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गांधी को पहली बार राष्ट्रपिता सुभाष चंद्र बोस ने ही कहा था

1938 में बोस कांग्रेस के प्रेसीडेंट चुने गए। 1939 में गांधी के विरोध के बावजूद उन्होंने पट्टाभि सीतारमैया को प्रेसीडेंट इलेक्शन में शिकस्त दे दी। लेकिन जल्द ही आंतरिक विरोध के चलते उन्होंने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद उन्होंने फार्वर्ड ब्लॉक का गठन किया। उनकी मास अपील के चलते अंग्रेज सरकार ने बोस को हाउस अरेस्ट कर लिया। हिटलर से पहले बोस ने रूस से मदद मांगी थी। लेकिन रूस खुद ही सेकंड वर्ल्ड वॉर में फंसा हुआ था। इसके बाद वे जर्मनी पहुंचे। 1943 में बोस जापान की सहायता से साउथ ईस्ट एशिया पहुंचे। यहां उन्होंने मोहन सिंह द्वारा बनाई इंडियन नेशनल आर्मी की कमान संभाली। तमाम मतभेदों के बावजूद बोस, गांधी की बेहद इज्जत करते थे। इंडियन नेशनल आर्मी की चार टुकड़ियां थीं। इनमें से एक का नाम महात्मा गांधी के ऊपर था। बोस ने युद्ध के पहले अपने भाषण में गांधी से आशीर्वाद मांगते हुए शुरूआत की थी। सिंगापुर से रेडियो पर उद्बोधन देते हुए गांधी को पहली बार राष्ट्रपिता सुभाष चंद्र बोस ने ही कहा था।

मौत पर लगातार सवाल उठाए जाते रहे

युद्ध के दौरान उन्होंने जापानी सेना के साथ मिलकर म्यांमार पर जीत हासिल की। इस बीच जापान पर परमाणु हमला हो गया और युद्ध रुक गया। बोस का कैंपेन भी रोक दिया गया। 18 अगस्त को टोकियो जाते वक्त ताईवान में उनका प्लेन क्रैश हो गया। कहा जाता है उनका अंतिम संस्कार जापान में कर दिया गया। उनकी अस्थियां रोकोनजी टेंपल में रखी गईं। हालांकि उनकी मौत पर लगातार सवाल उठाए जाते रहे।

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