‘पाग बचाऊ’ अभियान को जन-जन तक पहुंचाने का उद्देश्य

0

बिहार में मिथिला की संस्कृति की पहचान ‘पाग’ का चलन काफी पुराना है। ‘पाग बचाऊ’ अभियान को लेकर लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए तैयार गीत आज सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। मिथिला की सांस्कृतिक प्रतीक चिन्ह ‘पाग’ को लेकर इस विशेष गीत ‘अपन पाग बचावी’ का कापीराइट गीतकार डॉ़ बीरबल झा को भारत सरकार द्वारा प्रदान किया गया है।

सभी जातियों एवं वर्गो को एक सूत्र में बांधने का प्रयास

देश में मिथिला फाउंडेशन की ओर चलाए जा रहे ‘पाग बचाऊ’ अभियान को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से गीत की रचना की गई है। प्रसिद्घ लेखक डॉ़ बीरबल झा ने इस गीत को मिथिला की संस्कृति को मजबूत करने के उद्देश्य से लिखा है। लेखक ने इस गीत के माध्यम से मिथिला के सभी जातियों एवं वर्गो को एक सूत्र में बांधने का प्रयास किया है। यह गीत मिथिला के परंपरागत गीतों से बिल्कुल अलग है। इसे युवा गायक विकास झा ने अपनी आवाज दी है।

अभियान से जुड़ने की अपील…

लोगों से पाग पहनने की अपील करते हुए गीत में कहा गया है, ‘आउ सब मिल क मिथिला के पाग पहिरी, हम सब मिल क मिथिला के सम्मान बढाबी।’ इस गीत के माध्यम से जाति आधार को मिटाने की भी वकालत की गई है तथा सभी से इस अभियान से जुड़ने की अपील की गई है।

लोग पेड़ के पत्ते से बने पाग पहनते

डॉ झा ने बताया कि पाग मिथिला की सभ्यता संस्कृति में आदिकाल से जुड़ा है। वेद में इसे ‘सिरवस्त्रम’ कहा गया है। पहले लोग पेड़ के पत्ते से बने पाग पहनते थे और फिर कलांतर में इसे कपड़े से बनाया जाने लगा।

read more : मशहूर हस्ती होने के अपने फायदे और नुकसान : दिशा पटानी

उन्होंने कहा कि अंग्रेजी संस्कृति में जैसे ‘क्राउन’ का महत्व है, उसी प्रकार मिथिला में ‘पाग’ का महत्च है। मिथिला की संस्कृति की पहचान फिर से जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से क्षेत्र के कई राजनेताओं को पाग पहना कर सम्मानित किया गया है।

अभियान सोशल मीडिया पर काफी वायरल…

झा का दावा है कि भारत सहित नेपाल में भी पाग सम्मान प्रचलन से लोग काफी तेजी से जुड़ रहे हैं। इतना ही नहीं पिछले दिनों अमेरिका जैसे देशों में मिथिला क्षेत्र के लोगों ने कार्यक्रम का आयोजन कर अतिथियों को पाग पहनाकर सम्मानित किया। ‘पाग बचाऊ’ अभियान सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है।

पाग को किसी जाति-वर्ग से जोड़ दिया गया था। इस जातीय व्यवस्था से अलग हटकर झा ने ‘पाग फॉर ऑल’ की वकालत करते हुए एक ही मंच पर मिथिला के हर वर्ग के लोगों को पाग पहना कर उन्हें इस अभियान से जोड़ा।

मैथिल पाग पर महिलाओं का भी अधिकार

मिथिला में महिलाएं पाग से अब तक वंचित रही थीं। झा ने कहा कि पाग मिथिला की स्मिता है, मिथिला की पहचान माता सीता से है, इसलिए मैथिल पाग पर महिलाओं का भी अधिकार है। उन्होंने पटना और दिल्ली में कई कार्यक्रम का आयोजन कर महिलाओं को पाग सम्मान से नवाजा।

इसके अलावा पाग के रंग की परंपरा को बदलने का प्रयास करते हुए डॉ़ झा ने पाग बनाने वालों से मिलकर पाग के परंपरागत रंग लाल एवं श्वेत के अलावा सात विभिन्न रंगों के पाग बनवाए हैं। झा ने कहा कि कुछ ही दिनों में विभिन्न बाजारों में मखमली रंग-बिरंगी पाग उपलब्ध हो जाएगी।

 (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More