Corona : दिव्यांगों के उपचार को प्राथमिकता देने को कहा

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नई दिल्ली: सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग ने राज्य सरकारों से दिव्यांगजनों के लिए सुलभ प्रारूप में कोविड 19 (Corona ) सें संबंधित जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है। मंत्रालय ने विभिन्न राज्यों से कहा है कि दिव्यांग व्यक्तियों के उपचार को प्राथमिकता दी जाए। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्रालय ने इस बारे में राज्यों को भेजे गए परिपत्र में कहा कि केंद्र सरकार की ओर से दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 को लागू किया है जो प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक दोनों माध्यमों में ऐसे व्यक्तियों को सुलभ प्रारूप में सभी सूचनाओं के प्रसार की व्यवस्था करता है। इसलिए, कोविड-19 से संबंधित सभी जानकारी दिव्यांगजनों को सुलभ प्रारूप में उपलब्ध कराई जानी चाहिए, जिससे वे दूसरों के समान ही स्थिति से निपटने में सक्षम हो सकें।

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राज्यों को भेजे गए परिपत्र में मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के नियम 15 में यह स्पष्ट कहा गया है कि सभी वेबसाइटों को प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग द्वारा सरकारी वेबसाइटों के लिए जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार सुलभ बनाया जाना चाहिए। इन वेबसाइटों पर सभी सार्वजनिक डोमेन वाले दस्तावेजों को ओसीआर या ईपीयूबी प्रारूप में अपलोड किया जाना चाहिए।

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परिपत्र में संबंधित राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को अपने स्वास्थ्य और प्रचार विभागों को आवश्यक निर्देश जारी करने को कहा गया है। कोविड-19 (Corona ) से संबंधित सभी प्रचार सामग्री को सुलभ बनाने के लिए तत्काल उपाय किए जा सकें।

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मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि विभिन्न राज्यों से कहा गया है कि नेत्रहीन व्यक्तियों के लिए ब्रेल और ऑडियो टेप में प्रिंट सामग्री उपलब्ध कराई जाए ताकि वे कोरोना(Corona ) वायरस के खतरे और और इसके बचाव और इसके बचाव संबंधी उपायों के बारे में जान सकें।

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उपशीर्षक और सांकेतिक भाषा की व्याख्या के साथ वीडियो सामग्री (श्रवण दोष वाले व्यक्तियों के लिए) कोरोना वायरस के बचाव और रोकथाम के लिए उपलब्ध कराई जानी चाहिए। वेबसाइटों और सोशल मीडिया में ओआरसी ईपीयूबी प्रारूप में सभी दस्तावेजों के साथ जानकारी मुहैया कराई जाए।

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परिपत्र में यह भी कहा गया है कि प्रत्येक राज्य के स्वास्थ्य विभाग को दिव्यांगजनों के उपचार को प्राथमिकता देने के लिए उपयुक्त निर्देश जारी किए जाने चाहिए जैसा कि आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम 2016 की धारा 25 के तहत व्यवस्था है।

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