अवध की पहचान ही नही शान भी है ‘जरदोजी’
जब रंग बिरंगे चमकीले धागे को सुई की सहायता से कपड़े पर उतारा जाता है तो इस कलाकारी को जरदोजी कहते है। ये कहना गलत न होगा की अवध के परिधानों की दो ही शान है एक चिकन औऱ दूसरी जरदोजी। जरदोजी और चिकन दोनो को ही शान ए अवध का हिस्सा माना जाता है और फिर अगर बात हो लखनऊ महोत्सव की तो कहना ही क्या। लखनऊ महोत्सव में प्रदेश सरकार की एक जिला एक उत्पाद की तर्ज पर कई जिलों से आए लोगो ने अपने स्टॉल लगाए है। जिसमें से प्रमुख रुप से चंदौलीड बंदायू, उन्नाव सहित कई जिलों के स्टॉल लगे है। इन स्टॉलों में खासतौर से जरदोजी कढ़ाई किये कपड़े ही मिलेंगे।
also read : अरुण जेटली के ये 4 बजट बता रहे हैं मोदी सरकार की आर्थिक नीति
इन्ही स्टॉलों में से एक जाहिरा बेगम का स्टॉल है। अक्सर महिलाओं को घर के काम के बाद समय मिल जाता है। इस बचे हुए समय के उपयोग के लिए सराहनीय कदम है। इन्होंने घर में रहने वाली महिलाओं के लिए रोजगार दिया। इनके कारखाने में करीब 600 महिलाएं जरदोजी का काम करती है। जाहिरा बताती है कि महिलाओं को घर के कामों के बाद बहुत समय मिल जाता है। इनकी इस पहल से न सिर्फ महिलाओं को रोजगार मिला बल्कि वो आत्मनिर्भर भी हो गयी। उन्हें किसी के सामने हाथ फैलाने की जरुरत नहीं पड़ती है।
इस्माइल खान की जरदोजी के भी क्या कहने
इस्माइल खान बताते हैं कि वो पिछले 18 सालों से जरदोजी का काम कर रहे हैं। इन 18 सालों में वो जरदोजी के मास्टर हो चुके हैं। जब वो 10 साल के थे तो उन्होंने जरदोजी करना सीखा था। आज वे खुद का बिजनेस करते है। न सिर्फ प्रदर्शनी में बल्कि दिल्ली तक जाते हैं।
क्या है जरदोजी?
चमकीले धागे को बारीक सुई में लपेट, कपड़े पर करिश्मा बुनने की कला है जरदोजी। जरदोजी का काम करने वाले कारीगर अपनी उंगलियों के हुनर से सूट और साडियों को रूहदार कर देते हैं। जरदोजी एक फारसी शब्द है जिसका संधि विच्छेद जरदोजी यानी सोने की कढ़ाई। कहा यह जाता है कि मुगल दरबार राजा अकबर की छत्र-छाया में ईरानी कलाकारों को यहां पनाह मिली और तब से यह भारतीय शाही दरबारों की शानो-शौकत मानी जाने लगी। औरंगजेब का कला के प्रति उदासीनता से कारीगर पंजाब और राजस्थान के शाही दरबारों में विस्थापित हो गए। 18वीं-19वीं सदी के उद्योगीकरण ने इसे पीछे की ओर धकेल दिया। 1947 की आजादी के बाद इस कला के बेहतरी के लिए कदम उठाये गए। इस कढ़ाई को करने के लिए अड्डा, आरी, सलमा ,सितारा बेशकीमती पत्थर और सोने, चांदी के तार और रेशम, मखमल के कपड़े की जरूरत पड़ती है।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।