हाजीपुर सीट से चुनाव लड़ेंगे चिराग पासवान

चाचा पशुपति पारस भी इसी सीट से ठोक रहे दावा, जानें क्या है इस सीट का इतिहास

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लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार में एनडीए का सीट बंटवारा हो गया है. इसमें एनडीए ने LJP को 5 सीटें दी हैं. वहीं आरएलजेपी को इस बार बीजेपी ने एक भी सीट नहीं दी है. सीट बंटवारे में दरकिनार किए गए पशुपति पारस ने केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देते हुए ऐलान कर दिया है कि अब वह हाजीपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे.

हाजीपुर से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे चिराग पासवान

इसी बीच चिराग पासवान ने भी अपने चाचा पशुपति पारस के लिए मुश्किलें खड़ी करते हुए बड़ा दावा किया है. चिराग पासवान ने कहा है कि वह भी अपने पिता की परंपरागत सीट रही हाजीपुर से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने ये घोषणा बुधवार को की है.

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दरअसल, दो दिन पहले (18 मार्च) ही NDA में बिहार की लोकसभा सीटों को लेकर बंटवारा हुआ है. इस बंटवारे में बीजेपी 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. जेडीयू के खाते में 16 सीटें आई हैं. चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 5 सीटें मिली हैं. वहीं, जीतनराम मांझी की पार्टी HAM को 1 और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल को एक सीट मिली है.

रामविलास पासवान 9 बार रहे सांसद

बता दें कि हाजीपुर सीट से चिराग पासवान के पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत रामविलास पासवान 9 बार सांसद रहे हैं. रामविलास पासवान इसी सीट से अपने राजनीतिक जीवन में चुनाव लड़ते रहे हैं. वैसे तो रामविलास 1969 में राजनीति में आ गए थे. लेकिन पूरे देश ने उनका नाम 1977 में तब सुना, जब उन्होंने हाजीपुर में रिकॉर्ड बना दिया. रामविलास पासवान ने इस सीट से 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था. जिसमें उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार को सवा चार लाख वोटों के अंतर से हराया था. ऐसा पहली बार हुआ था कि किसी नेता ने इतनी बड़ी जीत दर्ज की थी. इसके लिए उनका नाम गिनीज बुक में भी दर्ज हुआ था.

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