दस करोड़ तक की परियोजना स्वीकृत कर सकेंगे मंत्री

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पहले मंत्रियों को सिर्फ अपने विभाग की पांच करोड़ रुपये तक की परियोजनाओं के अनुमोदन का अधिकार था लेकिन, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके अधिकारों में वृद्धि की है। मंत्री अधिकतम दस करोड़ रुपये तक की परियोजना का अनुमोदन दे सकेंगे। कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इससे काम-काज में भी सहूलियत होगी।
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मंगलवार को लोकभवन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में संपन्न कैबिनेट की बैठक में पांच महत्वपूर्ण फैसले किये गए। कैबिनेट ने बजट मैन्युअल में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए मंत्रियों को दस करोड़ रुपये तक की परियोजना स्वीकृति का अधिकार दिया। पहले पांच करोड़ तक के मामलों में वित्त विभाग की पूर्व सहमति जरूरी नहीं थी। तब की व्यवस्था में अगर किसी परियोजना की लागत पांच करोड़ रुपये से 15 करोड़ रुपये तक की है तो उसमें वित्त विभाग की सहमति लेना अनिवार्य था।
परियोजनाओं की बजट स्वीकृति मुख्यमंत्री स्तर पर मिलेगी
सरकार ने इसमें बदलाव करते हुए तय किया है कि अब दस करोड़ रुपये से अधिक और 25 करोड़ रुपये तक की परियोजना के लिए वित्त मंत्री का अनुमोदन लेना जरूरी होगा। 125 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजना के लिए विभागीय मंत्री और वित्त मंत्री के जरिये मुख्यमंत्री का अनुमोदन लेना होगा। यानी 25 करोड़ रुपये से ऊपर की परियोजनाओं की बजट स्वीकृति मुख्यमंत्री स्तर पर मिलेगी।
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भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने और पारदर्शी व्यवस्था के लिए योगी सरकार ने यह कदम उठाया है। जिन सहकारी समितियों का कार्यकाल खत्म हो गया है, अब वहां सहकारिता विभाग की ओर से प्रशासक नियुक्त किये जाएंगे। कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस फैसले का तात्कालिक असर करीब सात हजार प्रारंभिक कृषि ऋण सहकारी समितियों (पैक्स) पर पड़ेगा। इनका कार्यकाल 31 अक्टूबर को ही समाप्त हो गया था।
गैप को भरने के लिए यह फैसला महत्वपूर्ण होगा
उल्लेखनीय है कि संविधान में संशोधन करते हुए सहकारी समितियों में प्रशासकीय व्यवस्था समाप्त कर दी गई थी। सपा सरकार में वर्ष 2013 में एक्ट में संशोधन किया गया था। व्यवस्था हो गई थी कि चुनी हुई प्रबंध समिति ही कार्यभार ग्रहण करेगी लेकिन, जिन समितियों का कार्यकाल समाप्त हो गया, वहां रिक्तता आ गई थी। इस गैप को भरने के लिए यह फैसला महत्वपूर्ण होगा। समितियों की प्रबंध कमेटी के मौजूद न होने, त्यागपत्र दे देने या अन्य आकस्मिकता की स्थिति में शून्यता हो जाती है।
उपशा और सरकार वित्तीय व्यय भार वहन करेगा
इससे संचालन बाधित होता है। कैबिनेट ने सुचारु व्यवस्था के लिए उप्र सहकारी समिति अधिनियम-1965 की धारा-29 एवं 31 में संशोधन किया है। उल्लेखनीय है कि राज्य सहकारी निर्वाचन आयोग ने चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी है। दिल्ली-सहारनपुर-यमुनोत्री मार्ग राज्य राजमार्ग संख्या-57 में किलोमीटर 10.911 से किलोमीटर 217 को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित करने के लिए राज्य सरकार ने सहमति प्रदान की है। इस सड़क को एनएचएआइ को सौंपने के प्रस्ताव पर कैबिनेट ने मुहर लगा दी है। इसके निर्माण में निजी विकासकर्ता और उपशा में विवाद के कारण निर्णय होने की स्थिति में उपशा और सरकार वित्तीय व्यय भार वहन करेगा।
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