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जन्मदिन विशेष : ‘मोदी हैं, तो भरोसा है’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज विश्वास और उम्मीद के प्रतीक हैं। उनके नेतृत्व में भारत आंतिरक मोर्चे, अंतरराष्ट्रीय मंच और आमजन के…

लालू यादव के नाम की थी रघुवंश बाबू ने अपनी जिंदगी…

दो दिन पहले रघुवंश बाबू के एक पत्रकार मित्र से बात हो रही थी। उनके पत्रकार मित्र मेरे भी मित्र हैं। मैंने ऐसे ही कहा कि राजद ने…

आर्थिक तंगी से जूझ रहे ब्राह्मणों की आंखों में टिमटिमाने लगी है उम्मीद की…

चुनावी बिसात की बलिहारी लंबे दौर से हाशिए पर चल रहे ब्राह्मण समाज की सियासी हैसियत की पौबारह हो गई है। इन्हें रिझाने-मनाने को लेकर…

यूपी में सत्ता की गलियों में कई टोटके दशकों से कायम हैं | 2 The Point

यूपी में सत्ता की गलियों में कई टोटके दशकों से कायम हैं... अपशगुन बंगला हो, मुख्यमंत्री के नोएडा जाने मसला हो... सियासत में टोटके,…

इमरजेंसी : जब जुबान पर पड़ा था डाका – भाग दो

साहित्‍यकारों, पत्रकारों की कलम हमेशा से विद्रोह की मशाल बनकर जली है। इमरजेंसी के उस दौर में कलम ने अपनी इसी कर्तव्‍य का पालन किया

इमरजेंसी : 26 जून 1975 का वह मनहूस सबेरा – भाग एक

स्‍वतंत्र भारत के राजनैतिक इतिहास में इमरजेंसी का दौर काली स्‍याही से दर्ज है। तकरीबन 21 महीने के उस दौर में भारत ने विरोध की…

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