कोरोनावायरस: ठीक होने वाले मरीजों के शरीर में स्थायी नुकसान की संभावना अधिक

कोरोना से मुक्ति के बाद भी पूर्ण स्वस्थ होनेे में दो साल तक लग सकते हैं

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लंदन : कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों पर हुई केस स्टडीज Case studies से पता चलता है कि कुछ लोग तो जल्द उबर जाते हैं पर अनेक लोगों को इससे उबरने में डेढ़ से दो साल तक लग जाते हैं और कुछ अंदरुनी अंगों को काफी नुकसान हो सकता है। हालांकि इस पर लगातार शोध आदि चल रहे हैं। ब्रिटेन में हुए Case studies के बाद यह जानकारी निकल कर आयी है।

लंबा समय लग सकता है

कोविड -19 2019 के अंत में उभरा, लेकिन पहले से ही संकेत हैं कि कुछ रोगियों को पूर्ण स्वास्थ्य वापस पाने में लंबा समय लग सकता है।

पूर्ण स्वास्थ्य वापस पाने का समय इस बात पर निर्भर करेगा कि आप कब बीमार पड़े हैं। कुछ लोग बीमारी पर तेजी से विजय प्राप्त करते हैं, लेकिन कई दूसरों के लिए यह स्थायी समस्या छोड़ सकता है।

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Case studies में पाया गया कि आयु, लिंग और अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं सभी कोरोना से अधिक गंभीर रूप से बीमार होने वालों के लिए जोखिम को बढ़ाती हैं।

नुकसान होने की संभावना

जितना अधिक उपचार आप प्राप्त करते हैं, और जितना अधिक समय तक यह चलता है, उतना अधिक नुकसान होने की संभावना बढ़़ती है।
Case studies में देखा गया कि ज्यादातर लोग जो कोविड -19 से आक्रांत होते हैं, उनके केवल मुख्य लक्षण विकसित होते हैं जैसे- खांसी या बुखार। लेकिन आगे चलकर ऐसे रोगी शरीर में दर्द, थकान, गले में खराश और सिरदर्द का अनुभव कर सकते हैं।

शुरू में सूखी खांसी

शुरू में सूखी खांसी होती है, लेकिन कुछ लोग अंततः वायरस द्वारा मारे गए मृत लोगों के फेफड़ों की कोशिकाओं में जैसा बलगम बनता है, वैसी बलगम वाली खांसी शुरू कर सकते हैं।

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इन लक्षणों का उपचार बेड रेस्ट, बहुत सारे तरल पदार्थों का सेवन और दर्द से राहत जैसे पेरासिटामोल दवा के जरिये होता है।
Case studies में पाया गया कि बुखार एक सप्ताह से भी कम समय में खत्म हो जाना चाहिए, हालांकि खाँसी तब भी रह सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चीन से प्राप्त आंकड़ों के विश्लेषण के बाद पाया कि ठीक होने में औसतन दो सप्ताह लगते हैं।

रोग कुछ लोगों के लिए अधिक गंभीर

रोग कुछ लोगों के लिए अधिक गंभीर हो सकता है। यह संक्रमण के लगभग सात से 10 दिनों के भीतर प्रकट हो सकता है।
अनेक चिकित्सक कहते हैं कि यह परिवर्तन अचानक हो सकता है। सांस लेना मुश्किल हो जाता है और फेफड़े सूज जाते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली विजय पाने की कोशिश कर रही होती है – यही वह समय है जब शरीर में क्षति शुरू होती है।

ठीक इसी समय कुछ मरीजों को ऑक्सीजन थेरेपी के लिए वेंटीलेटर पर रहने की आवश्यकता होती है।

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सांस की तकलीफ में सुधार में कुछ समय लग सकता है

ब्रिटेन की प्रमुख वायरोलाजिस्ट जीपी सारा जार्विस का कहना है कि Case studies बताती है कि “सांस की तकलीफ में सुधार होने में कुछ समय लग सकता है … पर शरीर को अंदरुनी क्षति होती है और सूजन बढ़ रही होती है।”
वह कहती हैं कि ऐसे मरीजों को ठीक होने में दो से आठ सप्ताह लग सकते हैं, थकान और काफी दिनों तक बना रह सकता है ।

अगर मुझे गहन देखभाल की आवश्यकता हो तो क्या होगा?

WHO का अनुमान है कि 20 में से एक व्यक्ति को गहन उपचार की आवश्यकता होगी, जिसमें बेहोश होना और वेंटिलेटर पर रहना शामिल हो सकता है।

आईसीयू में भर्ती होने के बाद यह किसी जादू से कम नहीं कि आप उबर जायें। इसमें समय लगता है, चाहे बीमारी कैसी भी हो। मरीजों को घर जाने से पहले एक नियमित वार्ड में ले जाया जाता है।
फैकल्टी ऑफ इंटेंसिव केयर मेडिसिन के डीन डॉ. एलिसन पिटार्ड का कहना है कि Case studies बताती है कि क्रिटिकल केयर से वापस आने के बाद भी पूर्ण स्वस्थ होनेे में 12 से 18 महीने लग सकते हैं।

मांसपेशियों में कड़ापन भी संभव

अस्पताल के बिस्तर में लंबे समय तक रहने से मांसपेशियों में परिवर्तन व नुकसान की गुुंजाइश होती है। रोगी कमजोर हो जाता है जिससे मांसपेशियों को फिर से बलशाली बनने में समय लगता है। कुछ लोगों को फिर से चलने के लिए फिजियोथेरेपी की आवश्यकता पड़ सकती है।
आईसीयू में जाने के बाद प्रलाप और मनोवैज्ञानिक विकारों की संभावना बढ़ जाती है।

भरपूर नींद की जरूरत

“इस बीमारी में थकान एक अनिवार्य व बड़ा कारक है,” कार्डिफ और वैले यूनिवर्सिटी हेल्थ बोर्ड के फिजियोथेरेपिस्ट पॉल ट्वोज कहते हैं कि पूरे शरीर में कमजोरी, लगातार खांसी और सांस की तकलीफ बढ़ने संबंधी डेटा चीन और इटली से आई है। ऐसे में भरपूर नींद की जरूरत होती है।

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रोगियों को ठीक होने में लंबा वक्त

“हम जानते हैं कि रोगियों को ठीक होने में काफी समय, संभवत: कई महीने लगते हैं।”

लेकिन रोगी के एक बार रोगग्रस्त हो जाने के बाद सामान्य होने में समय लगता है। कुछ लोग देखभाल के जरिये अपेक्षाकृत कम अवधि
में ठीक हो जाते हैं, जबकि कुछ को हफ्तों नहीं महीनों उबरने में लग जाते हैं।

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