पूर्वांचल के उस बाहुबली की कहानी, जिससे ‘पंगा’ लेने से डरते हैं मुख्तार और बृजेश सिंह जैसे माफिया डॉन !
वाराणसी। पूर्वांचल में बाहुबलियों की लंबी फेहरिश्त है। एक लंबा इतिहास रहा है। मुख्तार अंसारी और बृजेश सिंह सरीखे कुछ ऐसे नाम हैं, जिनकी चर्चा उत्तर प्रदेश ही नहीं देश के दूसरे हिस्से में होती रही है। हालांकि इन दो माफिया डॉन के अलावा पूर्वांचल में एक ऐसा भी बाहुबली है, जिसकी अपनी अलग हैसियत है। उसकी सरजमीं पर मुख्तार और बृजेश जैसे माफिया डॉन भी पांव डालने से कतराते रहे हैं। ये कोई और नहीं भदोही के विधायक विजय मिश्रा हैं।
विजय मिश्रा का है चलता है भदोही में सिक्का
अपनी इसी दादागिरी और रुतबे के बलबूते विजय मिश्रा ने वो सब कुछ हासिल किया, जिसकी चाहत हर बाहुबली को होती है। कहते हैं यूपी में सत्ता किसी भी पार्टी की हो, लेकिन भदोही में सिक्का विजय मिश्रा का है चलता है। एक छोटे से ट्रांसपोर्टर से अपनी जिंदगी की शुरुआत करने वाले विजय मिश्रा ने दो दशकों में दौलत और जमीन का साम्राज्य खड़ा कर लिया। वरिष्ठ पत्रकार पवन सिंह बताते हैं कि ‘’विजय मिश्रा का भदोही से लेकर सोनभद्र और मिर्जापुर तक विजय मिश्रा का आर्थिक साम्राज्य फैला हुआ है। बालू खनन और क्रशर के जरिए विजय मिश्रा की अकूल संपत्ति बनाई। ‘’
विजय मिश्रा के खिलाफ गुंडा एक्ट की कार्रवाई शुरु
हालांकि भदोही के इस बाहुबली के बुरे दिन शुरु हो गए हैं। योगी राज में विजय मिश्रा पर शिकंजा कसना शुरु हो गया है। राज्य सरकार के आदेश पर पहले गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई हुई और अब धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज हुआ है। विजय मिश्रा के साथ उनकी पत्नी और मिर्जापुर MLC रामलली मिश्रा और उनके बेटे के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया है। अपने खिलाफ दर्ज आरोपों को विजय मिश्रा साजिश बता रहे हैं। विजय मिश्रा यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से टकराने से जरुर कतरा रहे हैं लेकिन समय की नजाकत को देख वो इस पूरे मामले को ब्राह्मणों की अस्मिता से जोड़ने की जरुर कोशिश कर रहे हैं।
योगी सरकार के रडार पर आए विजय मिश्रा
योगी सरकार ने विजय मिश्रा को क्यों अचानक रडार पर लिया है, ये समझ से परे है। विजय मिश्रा भले ही निषाद पार्टी के सिंबल पर चुनाव जीते हों लेकिन योगी आदित्यनाथ से नजदीकियां बढ़ाने की उन्होंने भरपूर कोशिश की। यहां तक की राज्यसभा चुनाव में उन्होंने ऐलानिया बीजेपी को वोट दिया। यही नहीं सार्वजनिक मंचों से भी वो योगी आदित्यनाथ की तारीफ करते रहे हैं। कहने वाले तो ये भी कहते हैं कि विजय मिश्रा ने नागपुर यानि संघ के कुछ बड़े नेताओं की बदौलत बीजेपी में इंट्री लेने की कोशिश, लेकिन उनकी दाल नहीं गली।
विजय मिश्रा का आपराधिक इतिहास बेहद लंबा रहा है। उनके ऊपर 70 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं। जिसमें हत्या, हत्या का प्रयास, लूट और रंगदारी जैसे संगीन आरोप है। कहा जाता है कि विजय मिश्रा अपने दुश्मन को माफ नहीं करते। चाहे नंद गोपाल नंदी हो या फिर उदयभान सिंह उर्फ डॉक्टर। विजय मिश्रा ने इन दोनों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। नंदी के ऊपर तो बम फेंकवाने का भी आरोप है। वहीं उदयभान सिंह आज तक सलाखों के पीछे हैं।
सियासी मैदान में भी विरोधियों पर पड़े भारी
विजय मिश्रा का रुतबा जितना अपराध की दुनिया में रहा है उतने ही सियासी मैदान में उनका सिक्का चलता है। विजय मिश्रा ने भदोही से कांग्रेस पार्टी से ब्लॉक प्रमुख के रूप में तीन दशक पहले राजनीतिक यात्रा शुरुआत की । ज्ञानपुर सीट से 2002, 2007 और 2012 में विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी के टिकट से जीता। अखिलेश यादव ने ‘बाहुबली -विरोधी’ छवि मज़बूत करने के लिए 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले उनका टिकट काट दिया। जवाब में विजय मिश्रा निषाद पार्टी के टिकट पर लड़े और मोदी लहर के बावजूद चुनाव जीते। विजय मिश्रा की मुलायम सिंह यादव और शिवपाल से करीबी जगजाहिर रही है। फिलहाल विजय मिश्रा के दुर्दिन शुरु हो गए हैं। जिस तरह से यूपी पुलिस ने विजय मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई शुरु की है, उससे साफ है कि आने वाले दिनों में विजय मिश्रा की मुश्किलें बढ़नी तय है।
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