Bose Jayanti 2024: जानें पराक्रम दिवस पर क्यों मनाते हैं सुभाष जयंती ?
कब से हुई पराक्रम दिवस की शुरूआत ?
Bose Jayanti 2024: आज पूरे देश में भारत के महान क्रांतिकारी और अंग्रेजों के खिलाफ कई आंदोलनों की अगुआई करने वाले नेता जी सुभाष चंद्र बोस की जयंती मनाई जा रही है. यह जयंती उनके पराक्रम और साहस को याद करने के लिए हर साल आज के ही दिन यानी 23 जनवरी को मनाई जाती है. आज के ही दिन सन 1897 में ओडिशा के कटक में रहने वाले बंगाली परिवार में नेता जी का जन्म हुआ था.
नेता जी ने भारत को अंग्रेजों से आजाद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी. वह हमारे युवाओं में आजादी की लड़ाई लड़ने का जज्बा देने वाले नेता थे. इस संघर्ष में नेता जी ने युवाओं के जज्बे को बुलंद करने के लिए और संगठन में एकता लाने के लिए यह नारा ”तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा” दिया था. बता दें कि बीते कुछ सालों से सुभाष चंद्र बोस की जयंती को पराक्रम दिवस के तौर पर मनाया जाता है. लेकिन हम बोस जयंती को पराक्रम दिवस के तौर पर क्यों मनाते हैं ? आइए जानते हैं ….
पराक्रम दिवस के तौर पर मनाने के पीछे का उद्देश्य
बोस जयंती को पराक्रम दिवस के तौर पर मनाए जाने की शुरूआत साल 2021 में पीएम मोदी द्वारा की गयी थी. इस दिन को पराक्रम दिवस के तौर पर मनाने के पीछे का उद्देश्य है कि नेता जी के पराक्रम को सम्मान दिया जाय. इसी के साथ ही बोस जयंती को पराक्रम दिवस के तौर पर मनाने की शुरूआत हुई. आपको बता दें कि नेता जी लापता होने के पूरे 5 महीने बाद से रंगून में नेता जी सुभाष की जयंती मनाने की शुरूआत की गयी थी. इसके पश्चात यह पारंपरिक तौर पर भारत में मनाया जाने लगा. आज के दिन पश्चिम बंगाल, झारखंड, त्रिपुरा, असम और ओडिशा में आधिकारिक अवकाश रखा जाता है. साल 2021 में पहली बार बोस जयंती को पराक्रम दिवस के तौर पर मनाया गया था.
कब से हुई पराक्रम दिवस की शुरूआत
जयंती को लेकर सुभाष चंद्र बोस के परिवार के लोगों ने भारत सरकार से नेताजी जयंती को प्रेम दिवस के तौर पर मनाए जाने की अपील की थी. वहीं ममता बनर्जी ने नेताजी को देशनायक दिवस और आधिकारिक अवकाश घोषित करने किए जाने की अपील की थी. इन अपीलों पर विचार करते हुए 19 जनवरी 2021 को सरकार ने बड़ी घोषणा करते हुए इस दिवस को पराक्रम दिवस के तौर पर मनाए जाने का एलान किया. हालांकि भारत सरकार के इस फैसले पर बोस परिवार के सदस्यों, तृणमूल कांग्रेस और पश्चिम बंगाल के वामपंथी दलों ने सरकार द्वारा प्रस्तावित नामों के बजाय पराक्रम दिवस मनाने को लेकर सरकार पर तीखी प्रतिक्रिया भी दी थी.
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क्या है नेता जी की मौत का रहस्य ?
23 जनवरी 1897 को ओडिशा में जन्मे सुभाष चंद्र बोस ने आजादी की लड़ाई के लिए आजाद हिंद फौज की स्थापना की थी. इसको लेकर संघर्ष करते हुए 18 अगस्त 1945 में में विमान हादसे के बाद उनकी बॉडी कहीं भी नहीं मिली. इसी वजह से उनकी मौत हुई या नहीं इस बात की पुष्टि नहीं हो पायी. यही वजह है कि सुभाष चंद्र बोस की मौत एक रहस्य बनकर रह गयी है.