बीजेपी का चुनावी टीम के जरिए जातीय और सियासी समीकरण साधने की कवायद, जाने क्या है खास प्लान
उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं। भारतीय जनता पार्टी ने धर्मेंद्र प्रधान के नेतृत्व में आठ सदस्यीय टीम को चुनावी कमान संभालने की जिम्मेदारी सौंपी है।
उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं। भारतीय जनता पार्टी ने धर्मेंद्र प्रधान के नेतृत्व में आठ सदस्यीय टीम को चुनावी कमान संभालने की जिम्मेदारी सौंपी है। पूरे यूपी को 6 क्षेत्रों में बाटते हुए इनके प्रभारी भी नियुक्त किए गए हैं।
भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री @JPNadda ने उत्तर प्रदेश में होने वाले आगामी विधान सभा चुनाव के लिए प्रभारी एवं सह-प्रभारियों के साथ-साथ संगठन प्रभारियों की नियुक्ति की। pic.twitter.com/PvUWtslBGm
— BJP (@BJP4India) September 8, 2021
धर्मेंद्र प्रधान यूपी के चुनाव प्रभारी होंगे। उनके सात सह-प्रभारी होंगे। जिनमें अनुराग ठाकुर, अर्जुनराम मेघवाल, सरोज पांडेय, शोभा करंदजाले, कैप्टन अभिमन्यु, अन्नपूर्णा देवी और विवेक ठाकुर शामिल हैं । बीजेपी ने चुनावी टीम के जरिए जातीय और सियासी समीकरण साधने की कवायद की हैं।
ओबीसी पर नजर:
यूपी में सर्वाधिक आबादी पिछड़ा और अन्य पिछड़ा वर्ग का है। इस वजह से इनकी भूमिका भी चुनावों में बढ़ जाति है। 2017 के यूपी के चुनाव में ओबीसी वर्ग का साथ बीजेपी को मिला था जिसके जरिए भारतीय जनता पार्टी ने 15 साल बाद सत्ता में वापसी की थी। अब इसी समुदाय को साधने के लिए बीजेपी ने धर्मेन्द्र प्रधान को यूपी का चुनाव प्रभारी बनाया है। प्रधान का झारखण्ड और छतीसगढ़ के चुनावी जीत में अहम योगदान माना जाता है। क्योंकि उस वक्त राज्य प्रभारी रहते हुए इन्होंने ओबीसी वर्ग के एक बड़े तबके को पार्टी से जोड़ा था।
ब्राम्हणों की नाराजगी दूर करने का प्रयास:
आगामी विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी हो या बसपा हो सभी पार्टियाँ ब्राम्हणों को साधने में लगी हैं। साथ ही बीजेपी को ब्राम्हण विरोधी पार्टी बताने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं। ऐसे में ब्राम्हणों की नाराजगी दूर की जिम्मेदारी अब सरोज पाण्डेय पर होगी। सरोज पाण्डेय बीजेपी की तेज तर्रार नेता हैं जो छतीसगढ़ से आती हैं।
भूमिहारों को सन्देश:
उत्तर प्रदेश में भूमिहारों को बीजेपी का परंपरागत वोटर माना जाता है। लेकिन मनोज सिन्हा को जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल बनाये जाने के बाद से यूपी बीजेपी में भूमिहारों का कोई भी बड़ा नेता नहीं है। ऐसे में भूमिहारों को बीजेपी के पाले में सहेजकर रखने की जिम्मेदारी विवेक ठाकुर के कंधों पर रहेगी।
दलित मतदाताओं को साधने का प्रयास:
यूपी में 22 फीसदी दलित मतदाता हैं जो सूबे के किसी भी पार्टी का खेल बनाने के साथ बिगाड़ भी सकते हैं। ऐसे में बीजेपी दलितों के बीच अपना राजनैतिक पैठ और मजबूत करने के लिए केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को सह-प्रभारी बनाया है। मेघवाल राजस्थान के दलित समाज से आते हैं।
सपा के कोर वोटबैंक पर नजर:
यूपी में करीब 10 फीसदी यादव वोटर हैं जो समाजवादी पार्टी के मजबूत वोटर माने जाते हैं। इस बार बीजेपी की नजर यादव समुदाय पर भी है। जिसकी जिम्मेदारी बीजेपी ने यादव समुदाय से आने वाली अन्नपूर्णा देवी को प्रदान की है। केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी को यूपी चुनाव में सह-प्रभारी बनाया गया है।
जाट वोटर:
2013 मुजफ्फरनगर दंगे के बाद जाट समुदाय बीजेपी से जुड़ गया था। जिसका समीकरण अब किसान आन्दोलन के वजह से गड़बड़ा रहा है। ऐसे में जाट समुदाय को बीजेपी के साथ रखने की जिम्मेदारी जाट समाज से आनेवाले हरियाणा के पूर्व मंत्री कैप्टन अभिन्यु के कंधो पर रहेगी।
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