सीएम के नामों को लेकर कश्मकस की दांव पेंच में फंसी भाजपा

सीएम रेस में बंसल का नाम-

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देश के तीन राज्यों में जबरदस्त जीत से उत्साहित भाजपा अब सीएम के नाम को लेकर कश्मकस की दांव पेंच में फंस गई है. बता दें कि मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में जीत के बाद भाजपा अभी तक सीएम फेस का ऐलान नहीं कर पाई है.वहीँ, अब राजस्थान में अगला सीएम कौन होगा इस पर सस्पेंस गहराता ही जा रहा है. मुख्यमंत्री पद की रेस में तो वैसे बहुत नाम है लेकिन केंद्रीय नेतृत्व किस पर भरोसा जताएगा ये देखना दिलचस्प होगा. खास तौर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीएम पद को लेकर अकसर किसी नए चौंकाने वाले नाम पर मुहर लगाते रहे हैं.ऐसा ही कुछ राजस्थान में भी देखने को मिल सकता है.

सुनील बंसल हो सकते हैं राजस्थान के नए सीएम

कहा जा रहा कि पीएम मोदी की तरफ से राजस्थान सीएम के लिए सुनील बंसल का नाम शामिल किया जा सकता है जो सबको चौंका सकता है. ऐसा इसलिए मान जा रहा है क्योंकि वह राजस्थान के रहने वाले हैं और उन्हें कुशल संगठनकर्ता भी माना जाता है. सबसे खास बात ये कि उनकी पृष्ठभूमि संघ (RSS) की है.

जानिए आखिर कौन हैं सुनील बंसल जिनका नाम सीएम रेस में अचानक आया सामने ….

सीएम रेस में बंसल का नाम-

कभी यूपी की राजनीति में ‘चाणक्य’ का किरदार निभाने वाले सुनील बंसल को लेकर राजस्थान के सियासी गलियारे में हलचल मचा हुआ है. कहा जा रह है कि सुनील बंसल प्रदेश की एक्टिव पॉलिटिक्स में एंट्री मार सकते हैं और मुख्यमंत्री के लिए दावेदारी भी ठोंक सकते हैं. वैसे भी राजस्थान की सियासत में सुनील बंसल की चर्चा करीब 6 महीने से लगातार हो रही है. उनके विधानसभा चुनाव लड़ने की भी सुगबुगाहट थी. हालांकि, अब उन्हें सीएम पद का दावेदार माना जा रहा है

राजस्थान के रहने वाले है बंसल-

आपको बता दें कि सुनील बंसल राजस्थान के रहने वाले हैं. उनका जन्म २० सितंबर 1969 में हुआ. वो स्टूडेंट लाइफ से ही राजनीति में बेहद एक्टिव रहे. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से उनका संबंध रहा. 1989 में वो राजस्थान यूनिवर्सिटी के महासचिव चुने गए थे. बाद में उनका झुकाव आरएसएस की ओर हो गया. 1990 में आरएसएस प्रचारक बने.इसके बाद उन्होंने बीजेपी में आने का
फैसला लिया.

यूपी में चुनावी रणनीतिकार रहे बंसल-

सुनील बंसल इस वक्त भाजपा में राष्ट्रीय महामंत्री है. साथ ही उन्हें पश्चिम बंगाल,ओडिशा और तेलंगाना का प्रभारी भी बनाया गया है. आपको बता दें कि उन्हें एक कुशल रणनीतिकार माना जाता है. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्हें यूपी की जिम्मेदारी दी गई थी और उन्होंने अमित शाह के साथ मिलकर ऐसी रणनीति तैयार की कि लोकसभा चुनाव में 80 में 73 सीटें भाजपा को मिल गई.

कुशल संगठनकर्ता है सुनील बंसल-

साल 2014 की है जब यूपी में लोकसभा चुनाव को लेकर चुनावी पारा चढ़ने लगा था. ऐसे में राष्ट्रीस्वयंसेवक संघ ने बंसल को उत्तर प्रदेश भेजने का फैसला किया. उस वक्त शाह यूपी इंचार्ज थे. यही वह समय था जब शाह और बंसल की पहली बार मुलाकात हुई. बीजेपी ने लोकसभा चुनाव 2014 में शानदार जीत के बाद सुनील बंसल को यूपी का संगठन मंत्री बना दिया था. इसके बाद सुनील बंसल ने साल 2017-19 और 2022 के उत्तर प्रदेश के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी को शानदार जीत हासिल कराने में अहम भूमिका निभाई.

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बंसल का ज्यादा विरोध नहीं कर पाएगा वसुंधरा गुट

सुनील बंसल जिस तरह से कुशल रणनीतिकार के तौर पर अपना लोहा मनवाया, अगर उन्हें राजस्थान
सीएम पद की जिम्मेदारी मिलती है तो कोई बड़ी बात नहीं होगी. खुद पीएम मोदी की ओर से भी कहा जा चुका है कि प्रदेश में किसी नए चेहरे को जिम्मेवारी दी जा सकती है. इस फेहरिस्त में सुनील बंसल का नाम सबसे आगे माना जा रहा. वैसे भी किसी और को मुख्यमंत्री पद दिया जाता है तो पूर्व सीएम वसुंधरा राजे असहमति जता सकती हैं. लोकसभा चुनाव को देखते हुए सुनील बंसल का नाम चर्चा में आ रहा. अगर उन्हें सीएम पद सौंपा जाता है तो ये पूरी संभावना है कि वसुंधरा गुट भी इस फैसले का ज्यादा विरोध नहीं कर सकेगा.

संघ की छवि है बंसल में-

बीजेपी में संगठन महामंत्री का पद अरसे से महत्वपूर्ण रहा है. इस पद पर नियुक्ति आरएसएस की राय से की जाती है. पूर्णकालिक प्रचारकों को संगठन महामंत्री की जिम्मेदारी देने का प्रचलन है. बीजेपी के लोग यह भी मानते हैं कि संगठन महामंत्री ही केंद्रीय नेतृत्व की आंख-नाक-कान होता है. ऐसे में उनका हर जगह प्रभाव रहता है. सुनील बंसल को आखिरकार पार्टी ने इस पद के लिए चुना. इससे पहले राकेश जैन, नागेंद्र नाथ भी संगठन महामंत्री रहे.

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