कैराना में BJP ने 20 से ज्यादा विधायकों-सांसदों को उतारा

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गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव में हार के बाद बीजेपी ने संगठन स्तर पर कमी को दुरुस्त करते हुए कैराना उपचुनाव के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। शामली जनपद की कैराना लोकसभा सीट पर आगामी 28 मई को उपचुनाव होने है। बीजेपी ने कैराना उपचुनाव की तैयारी युद्धस्तर पर शुरू कर दी है। गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनावों में हार से बौखलाई बीजेपी अब कैराना लोकसभा के उपचुनाव में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है।

गांव-गांव में चुनाव अभियान में उतार दिया है

बीजेपी ने अपने अनुभवी और युवा नेताओं की टीम को गांव-गांव में चुनाव अभियान में उतार दिया है। इसके साथ ही दो दर्जन से अधिक विधायक, सांसद व मंत्रियों की फौज भी उपचुनाव क्षेत्र में जमकर प्रचार में जुटी है। कैराना उपचुनाव में रालोद अध्यक्ष चौ अजित सिंह व उपाध्यक्ष जयंत चौधरी की सक्रियता देखते हुए, बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह को भी यहां मैदान में उतार दिया है।

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साथ ही सांसद संजीव बालियान, सांसद राघवलाखन पाल, सांसद राजेंद्र अग्रवाल, गन्ना मंत्री सुरेश राणा, आयुष मंत्री डा. धर्म सिंह सैनी, बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री अनुपमा जायसवाल, मंत्री लक्ष्मीनारायण, परिवहन मंत्री स्वतंत्र देव समेत दर्जनभर से अधिक मंत्री क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं। कैराना उपचुनाव में अभी भी मुजफ्फरनगर में 2013 में दंगे और 2016 का कैराना पलायन प्रकरण मुद्दा बना हुआ है। बीजेपी और रालोद नेता लगातार अपने चुनाव दौरों में यह मुद्दा उठा रहे हैं। बीजेपी ने कैराना लोकसभा का उपचुनाव जीतने के लिए अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं का पूरा अमला उतारा हुआ है।

कैराना में चुनाव प्रचार के लिए जा रहे हैं

बीजेपी ने अपने संगठन पदाधिकारियों के साथ-साथ युवा कार्यकताओं को भी गांवों और कस्बों में लगाया हुआ है। यह कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर बूथों पर बैठक कर रहे हैं और पार्टी के पक्ष में माहौल तैयार कर रहे हैं। साथ ही आसपास के जनपदों के सांसद और विधायक भी कैराना में चुनाव प्रचार के लिए जा रहे हैं। दरअसल, बीजेपी की साख भी इस उपचुनावों से जुड़ी है। लोकसभा चुनाव से पहले वह किसी भी कीमत में इस आखिरी उपचुनाव को जीतना चाहती है।

ताकि आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी की साख मजबूत रहे। स्वर्गीय हुकुम सिंह के निधन से खाली हुई इस सीट पर बीजेपी ने उनकी बेटी मृगांका सिंह को मैदान में उतारा है। जबकि सपा समर्थित तबस्सुम हसन रालोद के टिकट से चुनाव लड़ रही हैं।

हुकुम के चौपाल और हसन के चबूतरे पर तय होती है रणनीति

शामली के कैराना में हिंदू गुर्जरों की कलस्यान चौपाल और मुस्लिम गुर्जरों का चबूतरा, इन्हीं दो स्थानो के इर्द-गिर्द सियासत घूमती रही है। सियासत एक बार फिर इतिहास को दोहरा रही है। कैराना की राजनीति के धुर विरोधी हुकुम सिंह और मुनव्वर हसन जब आमने-सामने होते थे, तो चौपाल और चबूतरा पर ही सारी रणनीति तय की जाती थी। इस बार इन्हीं दोनों परिवार की महिलाएं चुनावी मैदान में आमने-सामने हैं।

चुनाव तो दो जिलों की पांच विधान सभाओं में लड़ा जाएगा, लेकिन चुनाव का वॉर रूम चौपाल और चबूतरा ही होंगे। कैराना लोकसभा सीट के उपचुनाव में बीजेपी की तरफ से मृगांका सिंह प्रत्याशी हैं, तो गठबंधन की तरफ से तबस्सुम हसन प्रत्याशी घोषित हो चुकी हैं। तबस्सुम हसन कैराना लोकसभा सीट से रालोद के सिंबल पर चुनाव लड़ेंगी। खास बात यह भी है कि मृगांका सिंह अपनी राजनीतिक सफर का दूसरा चुनाव लड़ रही हैं और हसन परिवार से तबस्सुम हसन भी दूसरी बार लोकसभा के उपचुनाव में उतरी हैं। दोनों ही महिलाओं को राजनीतिक समझ विरासत में मिली है।

वर्षों से दोनों ही परिवारों का कैराना सीट पर रहा है दबदबा

मृगांका सिंह के पिता स्वर्गीय बाबू हुकुम सिंह कैराना विधानसभा सीट से सात बार विधायक और एक बार सांसद चुने गए। वह 1985 में कांग्रेस की प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे। बाद में बीजेपी में आने पर राजनाथ सिंह के मुख्यमंत्री काल में मंत्री रहे और फिर विधानमंडल दल के उपनेता और नेता भी रहे। तबस्सुम हसन के ससुर चौधरी अख्तर हसन सांसद रह चुके हैं।

उनके पति मुनव्वर हसन कैराना से दो बार विधायक, दो बार सांसद, एक-एक बार राज्यसभा और विधानपरिषद के सदस्य भी रहे हैं। हिंदू गुर्जरों की निष्ठा कलस्यान चौपाल में है, तो मुस्लिम गुर्जरों की चबूतरे पर। यह बात अलग है कि दोनों ही कलस्यान खाप से हैं। इन्हीं दोनों स्थानों पर कैराना की राजनीतिक केंद्रित रही। अब फिर से तय हो गया है कि कैराना सीट के उपचुनाव में भी परिणाम चाहे जो भी हो। जीत बीजेपी की हो या गठबंधन प्रत्याशी की, लेकिन कैराना की सियासत का रिमोट तो चौपाल और चबूतरे के हाथ में ही रहेगा।

news18

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