प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे के दौरान अमेरिकी प्रशासन ने बड़ा कदम उठाया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐलान किया कि उनकी सरकार ने 26/11 मुंबई आतंकी हमलों में शामिल तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को हरी झंडी दे दी है. इस फैसले से भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को बड़ी सफलता मिली है क्योंकि तहव्वुर राणा लंबे समय से मोस्ट वांटेड आतंकियों की सूची में था.
डोनाल्ड ट्रंप ने खुद की पुष्टि, भारत में होगा मुकदमा
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “आज मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि मेरे प्रशासन ने दुनिया के सबसे बुरे लोगों में से एक मुंबई के भयानक आतंकवादी हमले से जुड़े साजिशकर्ता के प्रत्यर्पण को मंजूरी दी है. अब वह भारत में न्याय का सामना करेगा.”
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की थी समीक्षा याचिका
जनवरी 2024 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने तहव्वुर राणा की समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया था. इसके बाद भारत ने अमेरिकी अधिकारियों से उसके जल्द प्रत्यर्पण की मांग की थी. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था कि भारत प्रत्यर्पण प्रक्रिया को जल्द पूरा करने के लिए काम कर रहा है.
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कौन है तहव्वुर राणा ?
तहव्वुर राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है और वह पेशे से डॉक्टर रह चुका है. वह पाकिस्तानी सेना में भी सेवा दे चुका है . 26/11 के मास्टरमाइंड डेविड कोलमैन हेडली का करीबी सहयोगी माना जाता है.
कैसे जुड़ा था 26/11 हमलों से ?
राणा ने डेविड कोलमैन हेडली को आर्थिक और लॉजिस्टिक मदद दी थी. हेडली ने मुंबई में हमले से पहले, हमले वाली जगहों की जासूसी की थी. तहव्वुर राणा को अमेरिकी जांच एजेंसियों ने 2009 में गिरफ्तार किया था. तभी से भारत उसके प्रत्यर्पण की मांग कर रहा था.
अब भारत में होगा इंसाफ
भारत आने के बाद तहव्वुर राणा के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू होगी. मुंबई हमलों के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए यह फैसला अहम माना जा रहा है. अब देखना होगा कि उसके आने के बाद भारतीय अदालतों में उस पर कब तक मुकदमा शुरू होता है.