काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में अन्तर सांस्कृतिक अध्ययन केन्द्र और मालवीय मूल्य अनुशीलन केन्द्र की देख-रेख में दो दिवसीय विशिष्ट व्याख्यान श्रृंखला का शुभारम्भ हुआ. दो दिवसीय व्याख्यान श्रृंखला के मुख्य वक्ता के तौर पर कैथेलिक विश्वविद्यालय, फ्रांस के संचार विभाग प्रो. ओलिविएर अरीफोन थे. इस आयोजन में देश-विदेश से जुड़े विषयों पर वक्ता अपने-अपने विचार प्रस्तुत किये.
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सॉफ्ट पावर से दूसरे देशों को प्रभावित करने का होता है प्रयास
व्याख्यान का विषय ‘एशिया से सांस्कृतिक प्रवाह- दक्षिण कोरिया का सॉफ्ट पावर’(Cultural Flows from Asia : Soft Power From Korea) पर अपने व्याख्यान में प्रो. ओलिविएर अरीफोन ने कहा कि विश्व का प्रत्येक देश दूसरे देशों को अपने सॉफ्ट पावर के माध्यम से प्रभावित करने का प्रयास करता है. ब्रसेल्स में लगभग 200 देशों के दूतावास इसी कारण से है. हालांकि केवल उत्तर कोरिया इसका अपवाद है जो अन्य देशों में अपनी छवि की चिंता नहीं करता है. इसके विपरीत उसका पड़ोसी देश दक्षिण कोरिया अपने विभिन्न माध्यमों से विश्व के समस्त देशों को अपने सॉफ्ट पावर से प्रभावित कर रहा है. उन्होंने सॉफ्ट पावर के विभिन्न आयाम व्यापारिक कूटनीति, खेल कूटनीति, अकादमिक कूटनीति, पर्यटन कूटनीति की चर्चा की. उन्होंने कहा कि विभिन्न माध्यमों से एक देश अन्य देशों को अपनी विशेषताओं को दिखाकर अपने प्रभाव क्षेत्र का विस्तार करता है.
दक्षिण कोरिया को पॉप गानों व फिल्मों से जान रही है दुनिया
अपने भाषण में प्रो. अरीफोन ने दक्षिण कोरिया के सॉफ्ट पावर के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि दक्षिण कोरिया अपनी कोरियन भाषा, तकनीकी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता तकनीक, म्यूजिक बैंड इत्यादि के माध्यम से पूरे विश्व में अपने देश की एक सकारात्मक छवि का निर्माण कर रहा है. बताया कि दक्षिण कोरिया का संस्कृति, खेल एवं पर्यटन मंत्रालय एक बहुत बड़ा बजट अपने देश की सॉफ्ट पावर के प्रसार में व्यय करता है. ब्रसेल्स में मई में एक सप्ताह का कोरियन सप्ताह कार्यक्रम का आयोजन होता है, जिसमें कोरिया की संस्कृति के विभिन्न आयामों को दर्शाया जाता है.
विभिन्न आयामों के प्रदर्शनी के लिये 73 देशों में बनाए हैं 213 संस्थान
प्रो. अरीफोन ने बताया कि दक्षिण कोरिया ने 73 देशों में 213 संस्थान बनाए हैं. यह दक्षिण कोरिया के सॉफ्ट पावर के विभिन्न आयामों का प्रसार करते हैं. दक्षिण कोरिया अपने देश की कार, खाद्य पदार्थों, स्वास्थ्य और सौंदर्य उत्पादों के माध्यम से अलग-अलग देशों में प्रदर्शिनी लगाकर अपनी संस्कृति और विशेषता का प्रचार करता है. उन्होंने फिल्म पैरासाइट का जिक्र करते हुए कहा कि अभी कुछ समय पूर्व आई दक्षिण कोरियाई फिल्म पैरासाइट, ब्लैक स्वान म्यूजिक बैंड और बी.टी.एस. म्यूजिक बैंड के कारण कोरियाई संस्कृति का व्यापक प्रसार पूरे विश्व में हुआ है. दक्षिण कोरिया के सॉफ्ट पावर के रूप में विकास में वहां की सरकार, निजी समूहों और विभिन्न गैर सरकारी संस्थाओं के सक्रिय योगदान की बात कही.
श्रोताओं के प्रश्नों के दिए जवाब
अपने व्याख्यान के बाद प्रो. ओलिविएर अरीफोन ने कार्यक्रम में मौजूद श्रोताओं के विभिन्न प्रश्नों के उत्तर भी दिये. कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ. गीतांजलि सिंह ने प्रोफेसन अरीफोन का स्वागत किया. कहा कि विभिन्न योरोपीय विश्वविद्यालयों में विज़िटिंग प्रोफेसर और सिंगापुर में फ्रांस के विदेशी मामलों के सलाहकार प्रो. ऑलिवर आरिफोन का हमारे बीच होना सौभाग्य की बात है. धन्यवाद ज्ञापन करते हुए मालवीय मूल्य अनुशीलन केन्द्र के समन्वयक प्रो. संजय कुमार ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद बहुत कम समय में ही दक्षिण कोरिया एक बड़ी आर्थिक शक्ति के रूप में उभरा और अपने सॉफ्ट पावर के माध्यम से विश्व मंच पर अपनी उपस्थिति प्रभावी ढंग से करा रहा है. वहीं उन्होंने कहा कि प्रो. अरीफोन ने जिस व्यवस्थित तरह से दक्षिण कोरिया के सम्बंध में हमारा ज्ञानवर्धन किया है वो हमारे लिए अत्यंत उपादेय है.
इनकी रही उपस्थिति
कार्यक्रम में मुख्य रूप से विश्वविद्यालय की प्रो. अर्चना कुमार, प्रो. पी. सी. प्रधान, प्रो. शिशिर बसु, डॉ. पी. दलाई, डॉ. धर्मजंग, डॉ. राजीव वर्मा, डॉ. प्रवीण एवं शोधार्थीगण दिव्यान्शी, अनन्या, नेहा, चन्दन, अंजलि, कंचन, रंजीत समेत बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे.