बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में पीएचडी प्रवेश का इंतजार अब पांचवें महीने में पहुंच गया है. अगस्त 2024 में आयोजित हुए यूजीसी-नेट के परिणाम अक्टूबर में आ गए थे लेकिन विश्वविद्यालय अब तक पीएचडी प्रवेश का नोटिफिकेशन जारी नहीं कर सका है. छात्रों का कहना है कि बीएचयू प्रशासन की ढिलाई के चलते उनकी परेशानियां बढ़ रही हैं.
डेटा मिलने में देरी, फिर तकनीकी समस्याएं
नेट-जेआरएफ में सफल अभ्यर्थियों का डेटा एनटीए से प्राप्त करने में बीएचयू को दिसंबर तक का समय लग गया. नवंबर में एमओयू होने के बाद 15 दिसंबर को डेटा प्राप्त हुआ, लेकिन तकनीकी दिक्कतों के कारण विश्वविद्यालय इसे एक्सेस नहीं कर सका. परीक्षा विभाग ने दावा किया था कि वर्ष समाप्त होने से पहले प्रवेश प्रक्रिया शुरू होगी, लेकिन अब तक इस संबंध में कोई सूचना जारी नहीं की गई है.
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नए नियम
बीएचयू ने इस साल पीएचडी में प्रवेश के लिए नए नियम लागू किए हैं. इसके अंतर्गत अब रेट (रिसर्च एंट्रेंस टेस्ट) आयोजित नहीं होगा और केवल नेट में सफल छात्रों को ही प्रवेश दिया जाएगा. हालांकि, प्रक्रिया में देरी के कारण छात्रों की परेशानी बढ़ती जा रही है.
पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया में देरी
नियमों के अनुसार पहले बीएचयू में पीएचडी के लिए साल में दो बार प्रवेश परीक्षा आयोजित किए जाते थे, जिनमें प्रवेश की सीटों का निर्धारण शोध निदेशकों के पास रिक्त सीटों के आधार पर होता था. हालांकि, जनवरी 2023 के बाद से प्रवेश प्रक्रिया धीमी हो गई है.
जनवरी-2023 में पीएचडी प्रवेश समयबद्ध तरीके से संपन्न हुए थे. उसके बाद जुलाई-2023 में होने वाले प्रवेश एक साल बाद जुलाई-2024 में आयोजित हुए. इस देरी के कारण जुलाई 2024 सत्र के लिए आवेदन करने वाले छात्र अब तक इंतजार कर रहे हैं. इसी बीच 3 जनवरी से नेट की परीक्षा भी दोबारा शुरू हो रही है, जिससे अगले सत्र के लिए शोध छात्रों की नई खेप भी प्रवेश प्रक्रिया के इंतजार में खड़ी होगी.
पीएचडी की 1600 सीटों पर प्रवेश
बीएचयू में इस बार 1600 से अधिक पीएचडी सीटों पर प्रवेश होंगे. चार संबद्ध कॉलेजों में भी 125 सीटें तय की गई हैं. इन सीटों पर पीएचडी के छात्र-छात्राओं को प्रवेश दिया जाएगा.