VIDEO: गाय के पेट में खोदी सुरंग, वीडियो हुआ वायरल

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जब से केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी है गाय की रक्षा को लेकर हिंदू संगठन अक्सर विवाद में रहते हैं, कुछ ऐसा ही उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के बनने के बाद दिखाई दे रहा है, लेकिन विदेशों में गायों का क्या हाल है? इसकी जानकारी क्या आपको हैं, अगर नहीं तो इस खबर पढ़कर या वीडियो देखकर आप समझ जाएंगे।

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आप सोच रहे होंगे कि अपने देश की गाय को छोड़कर हम भला सीधे विदेश को कैसे पहुंचे गए। दरअसल इस वीडियो में गाय के पेट में सुरंग की ऐसी झलक देखकर आप भी यही सोच रहे होंगे। वीडियो से तो ये साफ है कि इन गायों के पेट में ढक्‍कन लगाए गए हैं। अब आप अगर पशु प्रेमी हैं तो जाहिर सी बात है कि किसी बेजुबान के पेट में ढक्‍कन लगाने की बात सोचकर भी आपके रोंगटे खड़े हो गए होंगे।

अबआपको बताते हैं गायों के पेट पर ऐसे ढक्‍कन लगाने का सच..

दरअसल अमेरिका में बड़ी मात्रा में ऑर्गेनिक फ़ार्मिंग यानि जैविक खेती का चलन है। बता दें कि कई देशों के किसान आज इस तरह से लंबे समय तक चलने वाली खेती को लेकर भी काफ़ी प्रयोग कर रहे हैं। हाल ही में अमेरिका में इसको लेकर एक ऐसा ही अजीबोगरीब प्रयोग सामने आया है। कई ऑर्गेनिक डेयरी किसान इस प्रयोग के तहत गायों के शरीर में एक बड़ा सा छेद कर देते हैं।

https://www.youtube.com/watch?v=JaS6-VzObiU

आपने शायद इस तरह की गाय को टीवी या इंटरनेट पर देखा होगा, लेकिन क्या आपको पता है कि गाय के पेट में इस सुराख की आखिर वजह क्या है। देखने में बेहद अजीब लगने वाला ये सुराख दरअसल गाय की उम्र को बढ़ाने में कारगर है। असल में वैज्ञानिकों के लिए यहां गाय के अंदरूनी हिस्से की जांच करना बेहद मुश्किल होता है,  ऐसे में गाय के शरीर में एक सुराख कर दिया जाता है। इस सुराख को एक प्लास्टिक की रिंग से बंद कर दिया जाता है और इस सर्जरी के एक महीने के अंदर गाय पूरी तरह से सहज हो जाती है।

गाय के पेट में इस गड्ढे को बनाने का मकसद बेहद साफ है। इसकी मदद से वैज्ञानिक गाय की पाचन प्रक्रिया के बारे में पता लगा सकते हैं। गाय कौन सा खाना बेहतर तरीके से पचा सकती है और कौन से खाने से उसे दिक्कत होती है, ये जानकारी इस प्रक्रिया की मदद से पता लगाई जा सकती है। इससे गाय के पेट में रहने वाले बैक्टीरिया के बारे में भी आसानी से पता लगाया जा सकता है। गाय के पेट में छेद के बारे में वैज्ञानिक बताते हैं कि ये फिस्टुला गाय के शरीर के जिस हिस्से में खुलता है, उसे Rumen कहा जाता है।

गाय को खाना खिलाने के बाद वैज्ञानिक इस फिस्टुला (छेद से बनाया गया रास्ता) का इस्तेमाल करते हैं। ताकि पता लगाया जा सके कि शरीर में खाना किस स्तर पर पच रहा है। खास बात ये है कि गाय इस प्रक्रिया से परेशान भी नहीं होती हैं और आश्चर्यजनक रूप से ये गाय के लिए काफी फायदेमंद है। माना जाता है कि इस प्रक्रिया से गाय की आयु में बढ़ोतरी होती है। बीमार होने की स्थिति में गाय को दवाइयां सीधा पेट के रास्ते से भी दी जा सकती है।

इस प्रक्रिया के आलोचक इसे केवल मीट और डेयरी कंपनियों के फ़ायदे के तौर पर ही देखते हैं। इसके बावजूद ये प्रक्रिया पिछले कुछ समय से सस्‍टेनेबल खेती का एक तरीका मानी जा रही है। आलोचकों का ये भी कहना है कि अमेरिका में मौजूद फ़ेडरल एनिमल वेलफ़ेयर एक्ट ही एकमात्र ऐसा कानून है, जो एक्‍सपेरिमेंट किये जा रहे जानवरों के अधिकार के लिए बना है, लेकिन गाय जैसे जानवर, जो खेती-बाड़ी के काम में आते हैं,  उन पर ये कानून लागू नहीं होता।

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